वित्त मंत्री ने लोकसभा में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, वर्ष 2022-23 में GDP 8-8.5 फीसदी रहने का अनुमान
आज संसद के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ आरंभ हो चुकी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इकोनॉमिक सर्वे 2022 पेश किया।
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भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है और यह 2022-23 की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को लोकसभा में पेश आर्थिक समीक्षा 2021-22 में यह बात कही गई है।
समीक्षा में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। अगले वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि देश में आर्थिेक मोचें पर सभी गतिविधियों के रफ्तार पकड़ने, कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान में तेजी और आपूर्ति की प्रक्रिया में तेजी आने से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर स्थिति है। इसके चलते देश की जीडीपी आठ से साढे आठ प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
इसमें कहा गया है कि फिर भी वैश्विक वातावरण अभी भी अनिश्चित बना हुआ है। इस समय ओमिक्रॉन वेरिएंट के रूप में एक नई लहर दुनिया भर में फैल रही है और अधिकांश देशों में मुद्रास्फीति बढ़ने से प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा धन की निकासी शुरू कर दी गई है।
इसमें कहा गया है वैश्विक महामारी के कारण सभी तरह की दिक्कतों के बावजूद, भारत का भुगतान संतुलन पिछले दो वर्षों में अधिशेष में रहा। इस प्रवृत्ति ने भारतीय रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार जमा करने के लिए प्रेरित किया। उच्च विदेशी मुद्रा भंडार, निरंतर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और बढ़ते निर्यात से होने वाली आय वर्ष 2022-23 में विश्व में संभावित तरलता की कमी के खिलाफ पर्याप्त सहारा प्रदान करेगा।
सरकार के पास पूंजीगत खर्च बढ़ाने की है वित्तीय क्षमता
संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कहा गया है कि सरकार के पास समर्थन बनाए रखने और जरूरत पड़ने पर पूंजीगत खर्च बढ़ाने की वित्तीय क्षमता है। राजस्व में मजबूत पुनरुद्धार सरकार को आवश्यक होने पर अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय स्थान भी प्रदान करता है।
अर्थव्यवस्था को दिए गए वित्तीय समर्थन के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के कारण 2020-21 में राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज बढ़ गया।
हालांकि, 2021-22 में अब तक सरकारी राजस्व में जोरदार उछाल देखने को मिला है। अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्तियों में 67.2 प्रतिशत (साल दर साल) की वृद्धि हुई है, जबकि 2021-22 के बजट अनुमानों में 9.6 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि हुई है।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के करों के लिए कर संग्रह में उछाल आया है। जुलाई 2021 से सकल मासिक जीएसटी संग्रह लगातार 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है।
निरंतर रेवेन्यू कलेक्शन और सरकार द्वारा लक्षित व्यय नीति के कारण, अप्रैल-नवंबर 2021 के लिए राजकोषीय घाटा बजट अनुमान (बीई) के 46.2 प्रतिशत पर समाहित किया गया है, जो कि इसी अवधि के दौरान प्राप्त अनुपात का लगभग एक तिहाई है। यह पिछले दो वर्षो में (अप्रैल-नवंबर2020 में बीई का 135.1 प्रतिशत और अप्रैल-नवंबर 2019 में बीई का 114.8 प्रतिशत) है।
अप्रैल से नवंबर 2021 की अवधि के दौरान प्राथमिक घाटा अप्रैल से नवंबर 2019 के दौरान अपने स्तर से लगभग आधा हो गया।
सर्वेक्षण में कहा गया है, "इसका मतलब यह है कि सरकार के पास समर्थन बनाए रखने और जरूरत पड़ने पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने की वित्तीय क्षमता है। यदि आवश्यक हो तो राजस्व में मजबूत पुनरुद्धार सरकार को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए राजकोषीय स्थान भी प्रदान करता है।"
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