आरबीआई की निगरानी में आएंगे सहकारी बैंक, राष्ट्रपति की मंजूरी मिली

Last Updated 27 Jun 2020 03:39:19 PM IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सभी शहरी सहकारी बैंकों और बहुराज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाने वाले बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी है।


एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि बैंकिंग नियमन कानून, 1949 में अध्यादेश के जरिए किया गया संशोधन सहकारी बैंकों पर भी लागू है।

बयान के मुताबिक अध्यादेश का मकसद अन्य बैंकों के संबंध में आरबीआई के पास पहले से उपलब्ध शक्तियों को सहकारी बैंकों तक बढ़ाकर उनके कामकाज और निगरानी में सुधार और श्रेष्ठ बैंकिंग नियमन लागू करके, और पेशेवर आचरण सुनिश्चित करके तथा पूंजी तक पहुंच में उन्हें सक्षम बनाकर, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और सहकारी बैंकों को मजबूत बनाना है।

इसमें कहा गया कि यह संशोधन राज्य सहकारी कानून के तहत राज्य सहकारी समिति पंजीयक की मौजूदा शक्तियों को प्रभावित नहीं करता है।

बयान में कहा गया है कि ये संशोधन प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) या सहकारी समितियों पर लागू नहीं होते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य कृषि विकास के लिए दीर्घकालिक कर्ज देना है और जो बैंक, बैंकर या बैंकिंग जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करते हैं और चेक अदा नहीं करते हैं।

बयान में यह भी कहा गया कि अध्यादेश बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन करता है ताकि जनता, जमाकर्ताओं और बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा के लिए किसी भी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके।

शहरी सहकारी बैंक और 58 बहुराज्यीय सहकारी बैंक हैं जिनके पास 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं की लगभग 4.85 लाख करोड़ रुपए की राशि जमा है। यह निर्णय पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक सहित कुछ सहकारी बैंकों में हुए घोटालों के मद्देनजर महत्व रखता है जिससे लाखों ग्राहक प्रभावित होते हैं।

भाषा
नई दिल्ली


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