यूनिटेक अब सरकारी नियंत्रण में, टेकओवर के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, चलती रहेगी जांच
लगभग 30 हजार फ्लैट खरीदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रीयल इस्टेट कंपनी यूनिटेक का प्रबंधन केंद्र सरकार को सौंप दिया है।
![]() यूनिटेक अब सरकारी नियंत्रण में |
एनएचएआई के पूर्व अध्यक्ष युद्धवीर सिंह मलिक को यूनिटेक बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कंपनी की कमान अपने हाथ में लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
जस्टिस धनन्जय चन्द्रचूड़ और मुकेश कुमार शाह की बेंच ने यूनिटेक के नए बोर्ड को कंपनी को संकट से उबारने के लिए रूपरेखा तैयार करने और इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का वक्त दिया है। अदालत ने यूनिटेक के नए बोर्ड को कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्यवाही से दो महीने की छूट भी प्रदान की है। अदालत ने कहा कि बोर्ड द्वारा समाधान की तैयारी की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जाएगा।
केंद्र ने सुनवाई की पिछली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह करीब 30 हजार परेशान मकान खरीदारों को राहत प्रदान करने के लिए यूनिटेक की अधर में लटकी परियोजनाओं को पूरा करने और यूनिटेक लिमिटेड का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के 2017 के प्रस्ताव पर फिर से विचार के लिए तैयार है। अदालत में पेश छह पेज के नोट में केंद्र ने कहा था कि वह यूनिटेक के वर्तमान प्रबंधन को हटाने और सरकार के दस व्यक्तियों को निदेशक नियुक्त करने के दिसम्बर 2017 के अपने प्रस्ताव पर फिर से गौर करने लिए तैयार है। साथ ही केंद्र ने कहा था कि वह कंपनी की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इसमें धन नीं लगाएगा। केंद्र ने कहा था कि अदालत को 12 महीने की छूट देनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के लिए यूनिटेक के खिलाफ किसी भी ताजा मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी। अदालत ने कंपनी के खिलाफ पुराने आदेश को भी दो महीने के लिए निलंबित कर दिया। दरअसल केंद्र ने सरकार ने यूनिटेक के प्रबंधन को टेकओवर करने का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट में सौंपा था। यूनिटेक के प्रमोटर अभी जेल में हैं।
दरअसल कोर्ट ने करीब 30 हजार घर खरीदारों के हितों को ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार को कंपनी का प्रबंधन अपने हाथ में लेने को कहा था। साथ ही फोरेंसिक रिपोर्ट में यूनिटेक व उसके निदेशकों द्वारा फ्लैट खरीदारों के हजारों करोड़ रुपए डायवर्ट करने की बात सामने आने के बाद सरकार को प्रवर्तन निदेशालय समेत तमाम एजेंसियों से इस मामले की जांच कराने का निर्देश दिया था। अदालत ने यूनिटेक के निदेशकों चंद्रा बंधुओं को जमानत देने से भी इनकार कर दिया है।
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