अवमानना मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अनिल अंबानी 4 हफ्ते में कर्ज चुकाएं, नहीं तो होगी जेल

Last Updated 20 Feb 2019 11:25:20 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी आरकॉम को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उन्हें एरिक्सन को 4 सप्ताह में 453 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।


अनिल अंबानी को जमा कराने होंगे 453 करोड़

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के अध्यक्ष अनिल अंबानी और दो अन्य को जानबूझ कर उसके आदेश का उल्लंघन करने का बुधवार को दोषी ठहराया और कहा कि दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन को 453 करोड़ रुपए की रकम का चार सप्ताह के भीतर भुगतान नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की जेल की सजा भुगतनी होगी।          

न्यायालय ने कहा कि आरकाम के अध्यक्ष अनिल अंबानी, रिलायंस टेलीकॉम के अध्यक्ष सतीश सेठ और रिलायंस इंफाट्रेल की अध्यक्ष छाया विरानी ने न्यायालय में दिये गये आश्वासनों और इससे जुड़े आदेशों का उल्लंघन किया है।          

न्यायालय ने कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशन के अध्यक्ष और अन्य को अवमानना से बचने के लिए एरिक्सन को चार सप्ताह में 453 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।    

न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन और न्यायमूर्ति विनीत शरण की पीठ ने एरिक्सन की अवमानना याचिका पर अपने फैसले में कहा कि अगर वे निर्धारित समय में भुगतान नहीं करते तो उन्हें तीन महीने जेल की सजा भुगतनी होगी। पीठ द्वारा फैसला सुनाये जाते वक्त अनिल अंबानी, सेठ और विरानी न्यायालय में मौजूद थे।      

शीर्ष अदालत ने रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इंफाट्रेल दोनों को चार सप्ताह में न्यायालय की रजिस्ट्री में एक-एक करोड़ रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया और कहा कि ऐसा नहीं होने पर इन कंपनियों के अध्यक्षों को एक एक महीने की अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी।      

पीठ ने निर्देश दिया कि रिलायंस ग्रुप की ओर से न्यायालय की रजिस्ट्री में पहले जमा कराए गये 118 करोड़ रुपये की राशि एक सप्ताह के भीतर एरिक्सन को दे दी जाये। पीठ ने कहा, ‘‘‘रिलायंस समूह के शीर्ष नेतृत्व की ओर से दिए गए आश्वासनों से यह प्रतीत होता है कि आदेश के बावजूद उन्होंने जानबूझ कर एरिक्सन को राशि का भुगतान नहीं किया।’’    

 
न्यायालय ने कहा कि रिलायंस की बिना शर्त माफी को खारिज किए जाने की जरूरत है क्योंकि उन्होंने आश्वासन और आदेश का उल्लंघन किया है। पीठ ने कहा कि रिलायंस की तीनों कंपनियों ने एरिक्सन को 550 करोड़ रूपए का भुगतान करने के लिये प्रदान की गयी 120 दिन की समय सीमा और 60 दिन की अतिरिक्त अवधि का पालन नहीं किया।  पीठ ने कहा कि न्यायालय की जानकारी के मुताबिक उसे दिये गये आासन झूठे थे और इससे न्याय का प्रशासन प्रभावित हुआ।     

फैसला सुनाये जाने के चंद मिनट बाद ही अंबानी की ओर से पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के निर्णय का सम्मान करते हैं और विश्वास है कि समूह एरिक्सन को देय राशि का भुगतान करने संबंधी निर्देशों का सम्मान करेगा।

    

शीर्ष अदालत ने एरिक्सन इंडिया की याचिका पर 13 फरवरी को सुनवाई पूरी की थी। एरिक्तसन का आरोप था कि रिलायंस समूह के पास राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में निवेश के लिये धन है परंतु वह उसकी बकाया 550 करोड़ रूपए की रकम का भुगतान करने में असमर्थ है। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी ने इस आरोप का पुरजोर विरोध किया था।     

अंबानी ने न्यायालय को बताया कि अपनी संपत्ति बेचने के बारे में बड़े भाई मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो के साथ बातचीत विफल हो जाने की वजह से उनकी कंपनी ने दिवालिया कार्यवाही का सहारा लिया है और धन उसके नियंत्रण में नहीं है।     

आरकाम ने न्यायालय से कहा कि उसने एरिक्सन की बकाया राशि का भुगतान करने के लिये जमीं-आसमां एक कर दिया परंतु जियो के साथ संपत्ति बिक्री की बातचीत विफल होने की वजह से वह इसका भुगतान करने में असमर्थ हो गयी।     

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 23 अक्टूबर को आरकाम को 15 दिसंबर, 2018 तक एरिक्सन की बकाया राशि का भुगतान करने के लिये अंतिम अवसर दिया था और कहा था कि इसमें किसी भी प्रकार का विलंब होने पर उसे 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा।

 

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment