बैंक लुटाते रहे तो क्यों देखता रहा RBI : जेटली

Last Updated 31 Oct 2018 12:16:29 AM IST

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि बैंकों के फंसे हुए विशाल कर्जों के लिए केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है।


केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

बैंकों के डूबे हुए कर्ज (एनपीए) के मुद्दे को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीच तकरार बढ़ गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एनपीए की समस्या बढ़ने के लिए केंद्रीय बैंक को जिम्मेदार ठहराया है। इसके लिए उन्होंने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर भी हमला बोला।

जेटली ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि केंद्रीय बैंक वर्ष 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा।  इससे बैंकों में फंसे कर्ज का संकट बढ़ा है। वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिए बैंकों पर कर्ज देने के लिए जोर दे रही थी जिससे एक साल में कर्ज में 31 फीसद तक वृद्धि हुई जबकि औसत वृद्धि 14 फीसद थी। जेटली ने यह बात ऐसे समय कही है जब केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनाव बढ़ने की खबरें आ रही हैं।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने शुक्रवार को एक संबोधन में कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना ‘बड़ा घातक’ हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने तथा उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रूप देखा जा रहा है। जेटली ने अपने संबोधन में आचार्य के भाषण या उनके मंत्रालय तथा आरबीआई के बीच कथित तनाव के बारे में कुछ नहीं कहा। पूर्व में वित्त मंत्री यह कह चुके हैं कि किसी भी गड़बड़ी के लिए राजनेताओं को अनुचित तरीके से आरोप झेलना पड़ता है जबकि निगरानीकर्ता आसानी से बच निकलते हैं।

उन्होंने कहा कि सुधार की दिशा में सरकार के उठाए गए कदमों से राजस्व में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उनका अपना अनुमान है कि वर्ष 2014 से 2019 के बीच सरकार अपना कराधार करीब दोगुना करने के करीब होगी। यह वृद्धि बिना कर दर बढ़ाए हुई। राजस्व में वृद्धि की वजह अर्थव्यवस्था में असंगठित रूप से कार्य कर रही इकाइयों को संगठित क्षेत्र के दायरे में लाना और इसकी वजह नोटबंदी, नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (जीएसटी) तथा अप्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार है।

उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी कठिन कदम था लेकिन इससे हमें यह साफ करने में मदद मिली कि हमारा इरादा अर्थव्यवस्था को संगठित रूप देना था।’ वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जब भाजपा सरकार सत्ता में आई  आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 3.8 करोड़ थी। चार साल में यह संख्या बढ़कर 6.8 करोड़ पर पहुंच गई है। मुझे भरोसा है कि इस साल यह संख्या 7.5 से 7.6 करोड़ हो जाएगी जो लगभग दोगुना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन के पहले साल में ही अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या 74 फीसद बढ़ी है।  सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए जेटली ने कहा कि सभी गांव को सड़कों से जोड़ने का काम पूरा होने के करीब है। वर्ष 2022 तक सभी को घर देने का लक्ष्य हासिल किये जाने की उम्मीद है तथा साल के अंत तक सभी घरों में बिजली होगी।



टिप्पणी पर माफी मांगें जेटली
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर भारतीय रिजर्व बैंक के काम में दखलअंदाजी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली केंद्रीय बैंक की कार्यशैली पर हमला कर उसको अक्षम बता रहे हैं और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां पार्टी मुख्यालय में मंगलवार को आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार सुनियोजित तरीके से शुरू से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय व केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड जैसी स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्थाओं को सरकार का विभाग समझ कर उसमें हस्तक्षेप कर रही है और इन संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि अब उसके निशाने पर आरबीआई की स्वायत्तता है।





 

सहारा न्यूज ब्यूरो


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