कॉल डॉप को लेकर ट्राई सख्त, 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा

Last Updated 18 Aug 2017 07:02:36 PM IST

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कॉल डॉप पर अंकुश के लिए आज कुछ कड़े दिशा-निर्देश जारी किए. इन दिशा-निर्देशों के तहत यदि कोई आपरेटर लगातार तीन तिमाहियों कॉल डॉप के लिए तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उस पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.


कॉल डॉप को लेकर ट्राई सख्त (फाइल फोटो)

ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा,  हमने कॉल डॉप के मामले में एक से पांच लाख रुपये तक के वित्तीय जुर्माने का प्रस्ताव किया है. यह ग्रेडेड जुर्माना प्रणाली है जो किसी नेटवर्क के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी.  

ट्राई के कार्यवाहक सचिव एस के गुप्ता ने कहा कि यदि कोई आपरेटर लगातार तिमाहियों में कॉल डॉप के मानकों को पूरा करने में विफल रहता है तो जुर्माना राशि 1.5 गुना बढ़ जाएगी और लगातार तीसरे महीने में यह दोगुनी हो जाएगी. हालांकि, अधिकतम जुर्माना 10 लाख रुपये तक रहेगा.

इस संशोधन के बाद किसी एक सर्किल में कॉल डॉप मापने की दर सर्किल स्तर से मोबाइल टावर तक अधिक ग्रैनुलर हो जाएगी.

शर्मा ने कहा, कॉल डॉप को मापने को लेकर कई मुद्दे हैं. औसत से कई चीजें छिप जाती हैं. नए नियमों के तहत हम किसी नेटवर्क के अस्थायी मुद्दे पर भी ध्यान देंगे और साथ ही नेटवर्क के भौगोलिक फैलाव को भी देखेंगे.  



संशोधित नियमों के तहत किसी दूरसंचार सर्किल में 90 प्रतिशत मोबाइल साइटें 90 प्रतिशत समय तक 98 प्रतिशत तक कॉल्स को सुगम तरीके से संचालित करने में सक्षम होनी चाहिए. यानी कुल कॉल्स में से दो प्रतिशत से अधिक डॉप की श्रेणी में नहीं आनी चाहिए. 

किसी खराब स्थिति या दिन के व्यस्त समय में एक दूरसंचार सर्किल के 90 प्रतिशत मोबाइल टावरों पर कॉल डॉप की दर तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. 

नियामक ने रेडियो लिंक टाइम आउट प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के लिए भी मानक तय किए हैं. कथित रूप से इसका इस्तेमाल दूरसंचार आपरेटरों द्वारा कॉल डॉप को छुपाने के लिए किया जाता है.

 

 

भाषा


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