सुधारों का कोई अंत नहीं: अरुण जेटली

Last Updated 04 Aug 2017 09:30:32 PM IST

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि सुधारों का कोई अंत नहीं है और भारत को गरीबी तथा ढांचागत सुविधा की कमी को दूर करने के लिये अब भी लंबी दूरी तय करना बाकी है. उन्होंने यह बात जीएसटी के क्रियान्वयन के एक महीने बाद एक समारोह में कही.


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री अरूण जेटली किताब के विमोचन के अवसर पर एक साथ.

जेटली ने  इंडिया ट्रांसफार्म्ड-25 ईयर्स आफ एकोनामिक रिफार्म  शीषर्क वाली पुस्तक के विमोचन के मौके पर यहां कहा कि भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचा तथा सिंचाई में बड़ी मात्रा में राशि लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार ने वित्तीय समावेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाया है.

लंबे समय से अटका जीएसटी एक जुलाई से लागू किया गया. इसे आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है.

जेटली ने कहा, जहां तक सुधार का सवाल है, इसका कोई अंत नहीं है और मुझे लगता है कि भारत को अभी भी लंबी दूरी तय करनी है. उन्होंने कहा कि वैश्विक वातावरण इस समय अधिक अनुकूल है, ऐसे में भारत को अपनी वृद्धि दर में तेज करने के प्रयास करने की जरूरत है.

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को लंबे समय तक उच्च वृद्धि दर की जरूरत है क्योंकि देश में अब भी बड़ी संख्या में लोग गरीब हैं, आपके यहां बुनियादी ढांचे की कमी है, आपके यहां अब भी शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण भारत और सिंचाई में काफी निवेश की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि जहां तक भारत का सवाल है, निश्चित रूप से 1991 उल्लेखनीय क्षण था. 

जेटली ने कहा,  महत्वपूर्ण इस मामले में क्योंकि इससे न केवल आर्थिक मार्ग को बदला बल्कि लोगों की मन:स्थिति में भी बदलाव लाया. 

विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के बीच भारत ने जून 1991 में अपनी अर्थव्यवस्था को खोला था और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में बड़े पैमाने पर सुधार की दिशा में कदम रखा था.



जेटली ने कहा कि भारत ने पिछले 25 साल में औसतन 7 प्रतिशत वृद्धि हासिल की है.

उन्होंने कहा,   नि:संदेह भारत रहने के लिहाज से बेहतर जगह है लेकिन अब भी कई क्षेत्रों में चुनौतियां बनी हुई है. 

जेटली ने कहा,   भारत को अब भी गरीबी उन्मूलन से संबद्ध कदमों को आगे बढ़ाने के लिये काफी मात्रा में संसाधन की जरूरत है. बड़ी मात्रा में संसाधन तभी आ सकता है जब वृद्धि प्रक्रिया अच्छी हो. 

इस कार्यक्रम में मनमोहन सिंह भी थे जो 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे.

पुस्तक का संपादन रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन ने किया. इसमें मुकेश अंबानी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, एन आर नारायणमूर्ति, नौशाद फोर्ब्स, सुनील भारती मित्तल, बाबा कल्याणी, दीपक पारेख, वाई बी रेड्डी, स्ट्रोब टालबोट तथा गीता पिरामल ने योगदान दिया है.

 

 

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment