ट्रेन में पकाओ नहीं परोसो

Last Updated 12 Feb 2016 03:28:15 AM IST

यात्रियों के ट्वीट पर सुविधाएं मुहैया कराने वाले रेलमंत्री सुरेश प्रभु अब यात्रियों को स्वच्छता के साथ गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने की कवायद में जुटे हैं.


ट्रेन में पैंट्री में खाना बनाना, वहीं पैक करने और परोसने का धंधा नहीं चलेगा

इसके लिए कड़ाई से कदम उठाना शुरू कर दिया गया है. ट्रेनों में खानपान का ठेका लेने वाले लाइसेंसी वेंडरों से दो टूक कह दिया गया है कि वे अपने-अपने बेस किचन स्थापित करें.

ट्रेनों के पेंट्री कार में खाना बनाने, वहीं पैक करने और उसे यात्रियों को परोसने का धंधा नहीं चलेगा. इस बाबत करीब डेढ़ सौ लाइसेंसी वेंडरों को नोटिस दिया गया है. दरअसल, ट्रेनों में खानपान की सुविधा मुहैया कराने के लिए ठेका लेने के दौरान इन लाइसेंसी ठेकेदारों ने करार किया था कि वे अपने बेस किचन को स्थापित कर लेंगे. लेकिन काफी अर्से से देखा जा रहा है कि तमाम लाइसेंसी ठेकेदार बेस किचन स्थापित करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

करार के तहत उन्हें कहा गया था कि वे किसी रेलवे स्टेशन के निकट अपना बेस किचन बनाएं और वहां भोजन तैयार करने के बाद उसे ट्रेन में आपूर्ति करें. इसके बजाय वे चलती ट्रेन में लगने वाले पेंट्रीकार में ही भोजन बनाकर यात्रियों को मुहैया कराते हैं. इससे न केवल पेंट्रीकार में गंदगी फैलती है, बल्कि वहां बनने वाले भोजन के भी अस्वच्छ होने की आशंका बनी रहती है.

भोजन की गुणवत्ता को लेकर लगातार शिकायतें यात्रियों की ओर से की जाती हैं. कई मामलों में रेल मंत्रालय को भी कार्रवाई के लिए निर्देश देने पड़ते हैं. बेस किचन के मामले के संज्ञान में आने पर रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

इस मामले में अब तक जोनल रेलवे ने देशभर में करीब 150 लाइसेंसी वेंडरों को नोटिस दिया है. नोटिस में यह चेतावनी दी गई है कि यदि एक निश्चित समय में वे अपना बेस किचन स्थापित नहीं करते हैं तो उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं.

देशभर में ट्रेनों में खानपान की सुविधा उपलब्ध कराने वाले करीब 250 लाइसेंसी वेंडर हैं, जिनमें से लगभग 100 ऐसे वेंडर हैं, जिन्होंने अपने बेस किचन बना रखे हैं.

सूत्रों ने बताया कि रेलवे की खानपान नीति में स्पष्ट तौर से कहा गया है कि हर लाइसेंसी वेंडर को अपने बेस किचन स्थापित करने होंगे. इन बेस किचनों में भोजन तैयार करने के बाद उसकी पैंकिंग हो फिर उसके बाद विभिन्न स्टेशनों से ट्रेन में चढ़ाया जाए, ताकि यात्रियों को स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण भोजन मुहैया हो सके.

बताया जाता है कि बेच किचन बनाने में व्यय बहुत होता है. लिहाजा लाइसेंसी ठेकेदार बाद में बेस किचन बनाने के वादे के साथ लाइसेंस तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उस पर अमल नहीं करते हैं और लगातार जोनल रेलवे से मोहलत मांगते रहते हैं और पेंट्री कार में खाना बनाते रहते हैं. अब रेल मंत्रालय इसे कड़ाई से पालन कराने में जुटा हुआ है.

विनोद श्रीवास्तव
एसएनबी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment