74 जीवन रक्षक दवाएं हो सकती हैं महंगी
कैंसर और एचआईवी के इलाज के काम आने वाली कई जीवन रक्षक दवाओं समेत कुल 74 दवाओं पर सीमा शुल्क छूट खत्म कर दी गई है ताकि घरेलू उत्पादकों को प्रोत्साहन मिल सके.
जीवन रक्षक दवाएं हो सकती हैं महंगी |
लेकिन इस निर्णय से इन दवाओं के दाम बढ़ने की भी संभावना है.
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने पिछले सप्ताह 74 दवाओं पर से मूल सीमा शुल्क की छूट वापस लिए जाने की अधिसूचना जारी की है. इससे अब जिन दवाओं पर अब सीमाशुल्क लगाया जाएगा उनमें गुर्दे की पथरी, कैंसर में कीमोथेरेपी एवं विकिरण चिकित्सा, दिल की धड़कन से जुड़ी समस्याओं, मधुमेह, पार्किसंस व हड्डियों के रोग की चिकित्सा में काम आने वाली दवाइयां तथा संक्र मण दूर करने के लिए एंटीबायोटिक आदि शामिल हैं.
इसके अलावा बैक्टीरिया से होने वाले संक्र मण, ल्यूकेमिया, एचआईवी या हेपेटाइटिस बी, एलर्जी, गठिया, अल्सर वाले कोलाइटिस की कुछ दवाओं पर भी इसका असर पड़ेगा. खून को पतला करने, ग्लोकोमा,
रसायन या कीटनाशकों की विषाक्तता से होने वाले रोग, प्राकृतिक शारीरिक विकास हार्मोन की कमी से बच्चों और वयस्कों को होने वाली समस्याओं से जुड़ी दवाएं भी इस दायरे में आएंगी.
केपीएमजी इंडिया में भागीदार और अप्रत्यक्ष कर विश्लेषण विभाग के प्रमुख सचिन मेनन ने कहा, ‘जीवन रक्षक समेत कुछ दवाओं पर से सीमाशुल्क छूट हटाने का अर्थ है घरेलू विनिर्माण उद्योग को सुरक्षा प्रदान करना और मेक इन इंडिया पहल को आकषर्क बनाना.’ डेलायट इंडिया की वरिष्ठ निदेशक एमएस मणि ने कहा, ‘एब्सिक्सिमैब, रेबीज रोधी इम्यूनोग्लाबिन, एफएसएच, प्रोकार्बाजाइन और सैक्विनावीर जैसी कुछ जीवन रक्षक दवाओं पर भी सीमाशुल्क बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है.’
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