इस साल 7 .5 फीसदी के आसपास रहेगी अर्थव्यवस्था में संवृद्धि : जेटली

Last Updated 01 Dec 2015 09:34:28 AM IST

दूसरे तिमाही की जीडीपी से उत्साहित वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पिछले साल की 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से बेहतर रहेगी.


फाइल फोटो

वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक जीडीपी वृद्धि 2015..16 में 7. 5 प्रतिशत के आसपास रहेगी.
    
जेटली ने कहा, ‘मुझे लगता है कि दूसरी तिमाही के आंकड़े हमें संतोष की भावना देते हैं..हम उम्मीद करते हैं कि इस साल जीडीपी वृद्धि पिछले साल की तुलना में बेहतर रहेगी तथा अगले साल और बेहतर रहेगी.’
    
जेटली ने कहा है कि प्रतिकूल वैश्विक हालात के बावजूद सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र ने 9.3 प्रतिशत की ‘महत्वपूर्ण’ वृद्धि दर्ज की. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाली तिमाहियों में निजी क्षेत्र निवेश में बढोतरी होगी.
    
उल्लेखनीय है कि जुलाई सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही जो कि अप्रैल जून तिमाही में 7 प्रतिशत थी। इस बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा है, ‘मेरे विचार में दूसरी तिमाही के आंकड़ों से हममें संतुष्टि का भाव आएगा.. हमें इस साल वृद्धि दर पिछले साल की वृद्धि दर से बेहतर रहने की अपेक्षा है. अगले साल यह और भी बेहतर होगी.’
    
भारतीय रेलवे के अनुबंध पर हस्ताक्षर संबंधी एक कार्य्रकम के अवसर पर उन्होंने कहा,‘ और जब प्रतिकूल वैश्विक हालात के बावजूद विनिर्माण क्षेत्र में बदलाव आने लगे तो मेरी राय में हमारे दृष्टिकोण से यह बहुत महत्वपूर्ण है.’

जेटली ने कहा कि देश के समक्ष अनेक घरेलू व वैश्विक चुनौतिया हैं और धीरे धीरे निजी निवेश बढने लगा है.
    
वित्तमंत्री ने कहा,‘ वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी ने कम से कम हमारे निर्यात को स्पष्ट रूप से प्रभावित किया, इस तरह से यह एक चुनौती है. इसके अलावा निजी क्षेत्र निवेश अब बढना शुरू हो गया है.. और मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में इसमें और तेजी से बढोतरी होगी.’
   
जेटली ने कहा कि विशेषकर नयी परियोजनाओं में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढा है.
   
सीएसओ द्वारा मंगलवार जारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई सितंबर में 9.3 प्रतिशत रही जो कि एक साल पहले की समान अवधि में 7.9 प्रतिशत थी.
  
जेटली ने कहा कि लगातार दो साल तक सामान्य से कमजोर मानसून की ‘बड़ी प्रतिकूलता’ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था उचित वृद्धि स्तर हासिल करने में सफल रही है.



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