चीनी पर बढ़ सकता है आयात शुल्क

Last Updated 21 Apr 2015 07:18:08 PM IST

सरकार चीनी आयात शुल्क को मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर सकती है.


चीनी पर बढ़ सकता है आयात शुल्क (फाइल फोटो)

चीनी की घटती कीमतों पर अंकुश लगाने तथा चीनी मिलों को करीब 20,000 करोड़ रुपये के किसानों के गन्ना बकाये का भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है. खाद्य मंत्री राम विलास पासवान की अगुवाई वाले मंत्रियों के अनौपचारिक समूह की एक बैठक में मंगलवार को चीनी आयात शुल्क बढ़ाने की सिफारिश करने का फैसला किया गया.

अनौपचारिक समूह की इस बैठक में किसानों और चीनी मिलों के समक्ष आये मौजूदा संकट को सुलझाने के लिए बफर स्टॉक बनाने, ऋण के पुनर्गठन, एथनॉल उत्पादन को प्रोत्साहन देने, साफ चीनी पर निर्यात सब्सिडी के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी आम सहमति बनी.

\"\"बैठक के बाद पासवान ने कहा, "हमने गन्ना कीमतों के बकायों के जल्द भुगतान के लिए किसानों और राज्य सरकारों द्वारा दिये गये सुझावों पर विचार विमर्श किया. किसानों की तकलीफ और चीनी उद्योग के समक्ष उपजी अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए हम अल्प अवधि के साथ साथ दीर्घ अवधि के लिए समस्याओं को सुलझाने में मदद लेने के लिए कुछ मुद्दों पर आम सहमति पर पहुंचे हैं."

सूत्रों ने बताया कि कुछ सुझावों को लागू करने के लिए मंत्रिमंडलीय प्रस्तावों को लाया जायेगा जबकि एक कार्यकारी आदेश के जरिये वित्त मंत्रालय द्वारा आयात शुल्क को बढ़ाया जा सकता है. पिछले वर्ष अगस्त में कच्ची चीनी और रिफाइंड चीनी दोनों पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया ताकि नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग को संकट से निजात दिलाया जा सके.

बैठक में पासवान के अलावा परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीमारमण, पेट्रोलियम मंत्री धमेन्द्र प्रधान, महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और कृषि राज्य मंत्री संजय बाल्यान भी उपस्थित थे.

पासवान ने गन्ना बकाया संकट को सुलझाने के लिए 15-16 अप्रैल को किसानों और मुख्यमंत्रियों की दो अलग-अलग बैठक बुलाई थी. चीनी उद्योगों को उत्पादन लागत बढ़ने के कारण पिछले कुछ वर्षो से घाटे के कारण किसानों को गन्ना भुगतान में दिक्कत पेश आ रही है. केन्द्र सरकार ने हाल में चीनी मिलों की नकदी स्थिति में सुधार लाने के लिए 14 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात के लिए 4,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी प्रदान की है.

चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन इस्मा की मांग रही है कि सरकार परिष्कृत चीनी पर निर्यात सब्सिडी प्रदान करे, 20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार किया जाये और लगभग 36,000 करोड़ रुपये के चीनी मिलों के ऋण का पुनर्गठन किया जाये. देश में चीनी की एक्स-चीनी मिल कीमत घटकर 21 से 24 रुपये प्रति किलो रह गई है जबकि उत्पादन लागत करीब 30 रुपये प्रति किलो बैठती है.

दुनिया में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश, भारत में चीनी का उत्पादन लगातार पांचवें वर्ष इस सत्र में घरेलू खपत के मुकाबले कहीं अधिक होने का अनुमान है. सरकार ने चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2014-15 (अक्तूबर से सितंबर) में 2.65 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है जो पिछले वर्ष 2.43 करोड़ टन था. चीनी की वाषिर्क घरेलू मांग करीब 2.48 करोड़ टन है.



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