मोदी की अमेरिका यात्रा हुई खत्म, खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर चिंता बरकरार

Last Updated 01 Oct 2014 12:25:16 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति बराक ओबामा से कहा कि विश्व व्यापार संगठन की बातचीत में भारत की खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान निकाला जाना चाहिए.


नरेन्द्र मोदी - बराक ओबामा

ओबामा से शिखर बैठक के बाद संयुक्त बयान दिये जाने के समय मोदी ने कहा, ‘डब्ल्यूटीओ के मुद्दे पर खुलकर बात हुई. हम व्यापार सरलीकरण का समर्थन करते हैं, पर साथ ही हम चाहते हैं कि हमारी खाद्य सुरक्षा चिंताओं का समाधान होना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा शीघ्र होगा.’

गौरतलब है कि जुलाई में जिनेवा में हुई डब्ल्यूटीओ की बैठक में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने कड़ा रुख अपनाया था और डब्ल्यूटीओ के व्यापार सरलीकरण समझौते का अनुमोदन करने से इंकार कर दिया था. इस समझौते को स्वीकार करने के लिए विकसित देश दबाव बनाये हुए हैं, हालांकि खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से भारत के सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान किये बिना वे ऐसा दबाव बना रहे हैं.

भारत ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न की खरीदारी करने और उसे गरीबों को सस्ते दाम पर बेचने के मामले में डब्ल्यूटीओ से कृषि सब्सिडी की गणना के तौर तरीकों में संशोधन करने को कहा है.

डब्ल्यूटीओ के मौजूदा नियमों में खाद्य सब्सिडी को खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य का 10 प्रतिशत पर सीमित किया गया है. इसके साथ ही सब्सिडी की गणना दो दशक पहले के मूल्य पर करने का प्रावधान है.

भारत खाद्य सब्सिडी की गणना के लिये खाद्यान्न मूल्य के आधार वर्ष 1986-88 को बदलने की मांग कर रहा है.

भारत चाहता है कि सब्सिडी गणना में विभिन्न पहलुओं, जैसे महंगाई और मुद्रा की घटबढ़, को ध्यान में रखते हुये आधार वर्ष में बदलाव किया जाना चाहिये.

ऐसी आशंका है कि जैसे ही भारत अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को पूरी तरह लागू करेगा सब्सिडी का आंकड़ा डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक हो जायेगा.

ऐसा होने पर डब्ल्यूटीओ का कोई सदस्य देश यदि भारत के खिलाफ शिकायत करता है तो भारत पर भारी जुर्माना लग सकता है.
 

 

 

 

 



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