डीजल की बिक्री पर घाटा घटा,मूल्य नियंत्रण होगा खत्म
देश में डीजल की खुदरा कीमत इसकी वास्तविक लागत से सिर्फ 8 पैसे कम रह गयी है.
डीजल |
यह मूल्य नियंत्रण व्यवस्था में इस ईंधन की बिक्री में घाटे का न्यूनतम स्तर है और इससे लगता है कि इस पर मूल्य नियंत्रण जल्दी ही खत्म किया जा सकता है.
एक दशक से भी अधिक समय में यह पहला मौका है डीजल का खुदरा भाव इसकी लगत के करीब करीब बराबर आ गया है.
डीजल देश में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पेट्रोलियम ईंधन है.
एक बयान में कहा गया कि खुदरा बिक्री मूल्य और इसके आयात मूल्य का अंतर गिरकर 8 पैसे प्रति लीटर पर आ गया गया.
डीजल के दाम में हर माह करीब 50 पैसे की बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत में गिरावट के संयुक्त प्रभाव से डीजल की बिक्री पर सरकारी कंपनियों का घाटा इतना कम हुआ है.
यदि यह रुझान जारी रहता है तो डीजल की कीमत अगले सप्ताह तक अंतरराष्ट्रीय दरों के बराबर होगी और 1 अक्टूबर को होने वाले संशोधन में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की जरूरत नहीं रह जाएगी.
सरकार ने डीजल की बिक्री पर नुकसान कम करने के लिए जनवरी 2013 से हर महीने डीजल की कीमत 50 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ाई जाती रही है. पिछली वृद्धि 31 अगस्त को की गयी और इसके साथ ही नुकसान प्रति लीटर 8 पैसे तक सीमित हो गया है.
जनवरी 2013 जब में यूपीए सरकार ने मासिक स्तर पर कम बढ़ोतरी का फैसला किया था, तब से 19 बार में डीजल का भाव कुल 11.81 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया जा चुका है.
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