उपभोक्ताओं के साथ धोखा होर्लिक्स में नहीं मिला गेहूं
सप्लीमेंट फूड के विक्रेता खरीदारों को आकर्षित करने के लिए डिब्बे में कई तरह के पोषक तत्व होने का दावा करते हैं लेकिन ये तत्व उत्पाद से नदारद रहते हैं.
सप्लीमेंट फूड |
खरीददार उसे सही समझ कर खरीद लेता है.
इसका सबूत हाल ही में खाद्य एवं औषधि प्रशासन अमले द्वारा लिए गए हॉर्लिक्स के सैम्पल से मिलता है.
हॉर्लिक्स के डिब्बे पर गेहूं का चित्र बना था, लेकिन जब खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला में इसकी जांच की गई, तो उसमें गेहूं का नामो-निशान भी नहीं मिला.
इसे मिसब्रांडेड घोषित किया गया है.
अब जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी विक्रेता के विरुद्द एडीएम कोर्ट में मामला पेश करने की तैयारी कर रहे हैं.
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने गौतम नगर स्थित एसके एजेंसी से वूमन हॉर्लिक्स का नमूना लिया था. यह महिलाओं के लिए सप्लीमेंट पदार्थ था, जिसके शक्तिवर्धक होने का दावा किया जा रहा था. डिब्बे के ऊपर गेहूं का चित्र बना था. लेकिन अंदर गेहूं के अंश नहीं थे.
यह है नियम
नियमानुसार प्रोडक्ट की पैकिंग के ऊपर जिन तत्वों के होने का दावा किया जाता है, उनका उस प्रोडक्ट में होना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर प्रोडक्ट को मिस ब्रांडेड माना जाता है.
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थ के मिस ब्रांडेड पाए जाने पर विक्रेता पर 5 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है.
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