आखिर पुर्तगालियों को छोड़ना पड़ा गोवा और दमन दीव

Last Updated 19 Dec 2011 01:43:43 PM IST

भारत को यूं तो 1947 में ही आजादी मिल गई थी लेकिन इसके 14 साल बाद भी गोवा पर पुर्तगालियों का शासन था.


तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन के बार-बार के आग्रह के बावजूद पुर्तगाली झुकने को तैयार नहीं हुए. उस समय दमन दीव भी गोवा का हिस्सा था.

गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसंबर पर विशेष

पुर्तगाली यह सोचकर बैठे थे कि भारत शक्ति के इस्तेमाल की हमेशा निन्दा करता रहा है,इसलिए वह हमला नहीं करेगा. उनके इस हठ को देखते हुए नेहरू और मेनन को कहना पड़ा कि यदि सभी राजनयिक प्रयास विफल हुए तो भारत के पास ताकत का इस्तेमाल ही एकमात्र विकल्प रह जाएगा.

पुर्तगाल जब किसी तरह नहीं माना तो नवम्बर 1961 में भारतीय सेना के तीनों अंगों को युद्ध के लिए तैयार हो जाने के आदेश मिले. मेजर जनरल केपी कैंडेथ को 17 इन्फैंट्री डिवीजन और 50 पैरा ब्रिगेड का प्रभार मिला.
  
भारतीय सेना की तैयारियों के बावजूद पुर्तगालियों की हेकड़ी नहीं गई. भारतीय वायु सेना के पास उस समय छह हंटर स्क्वाड्रन और चार कैनबरा स्क्वाड्रन थे.

गोवा अभियान में हवाई कार्रवाई की जिम्मेदारी एयर वाइस मार्शल एरलिक पिंटो के पास थी. सेना ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देते हुए आखिरकार दो दिसंबर को गोवा मुक्ति का अभियान शुरू कर दिया. वायु सेना ने आठ और नौ दिसंबर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर अचूक बमबारी की.

सेना और वायु सेना के हमलों से पुर्तगाली तिलमिला गए. आखिरकार 19 दिसंबर 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मैन्यू वासलो डे सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर दस्तखत कर दिए.
  
इस तरह भारत ने गोवा और दमन दीव को मुक्त करा लिया और वहां पुर्तगालियों के 451 साल पुराने औपनिवेशक शासन को खत्म कर दिया. पुर्तगालियों को जहां भारत के हमले का सामना करना पड़ रहा था,वहीं उन्हें गोवा के लोगों का रोष भी झेलना पड़ रहा था.
   
दमन दीव पहले गोवा प्रशासन से जुड़ा था लेकिन 30 मई 1987 में इसे अलग से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. गोवा और दमन दीव में हर साल 19 दिसंबर को मुक्ति दिवस मनाया जाता है.
  
गोवा मुक्ति युद्ध में जहां 30 पुर्तगाली मारे गए वहीं 22 भारतीय वीरगति को प्राप्त हुए. घायल पुर्तगालियों की संख्या 57 थी जबकि घायल भारतीयों की संख्या 54 थी. इसके साथ ही भारत ने चार हजार 668 पुर्तगालियों को बंदी बना लिया.

गोवा के मुक्ति संघर्ष की 50 वीं वषर्गांठ के मौके पर आज लोकसभा में आपरेशन विजय के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी.

राज्यसभा में कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने राज्य को 450 साल लंबे पुर्तगाली शासन को समाप्त कराने में देश के विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका का स्मरण किया.

कांग्रेस के शांताराम लक्ष्मण नाइक ने विशेष उल्लेख के जरिए यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा महाराष्ट्र,गुजरात, पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
     
उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेना भेजकर गोवा मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण मदद दी थी. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य दिलाने में अहम भूमिका निभायी. उन्होंने कहा कि गोवा को स्वतंत्र कराने में विभिन्न लोगों की भूमिका को भूलाया नहीं जा सकता.



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