जल्द सामने आए सच
पश्चिम बंगाल की विवादित संदेशखालि घटना का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें भाजपा नेता गंगाधर कयाल कह रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख व उनके सहयोगियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए 70 महिलाओं को दो-दो हजार रुपए दिए गए थे।
जल्द सामने आए सच |
शेख पर यौन उत्पीड़न व ग्रामीणों की जमीनें हड़पने के आरोप हैं। बीते सप्ताह भी ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कयाल कह रहे हैं कि बलात्कार के आरोप मनगढंत हैं। उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले करीब 50 चुनाव बूथों पर अशांति पैदा करनी है, इसके लिए 50 पिस्तैलों व 600 कारतूसों की जरूरत होगी।
वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा बैकफुट पर है और स्वाभाविक तौर पर वीडियो को फर्जी कह कर हाथ झाड़ रही है, जबकि भाजपा की संदेशखालि की उम्मीदवार व प्रदर्शनकारी रेखा पात्रा का दावा है कि जिन बलात्कार पीड़िताओं को राष्ट्रपति से मिलाने ले जाया गया था, उन्हें वह नहीं जानतीं।
स्थानीय भाजपा नेता चुनाव के पहले टीएमसी फर्जी हवा चलाने के लोभ में वीडियो का प्रयोग कर रही है। घटना के बाद दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में झड़पें हिंसक हो गई। यह मसला साधारण नहीं माना जाना चाहिए। सच और झूठ का पर्दाफाश होना बहुत जरूरी है। खासकर चुनावों के दरम्यान होने वाली छींटाकशी आम है। मगर इस तरह महिलाओं के चरित्र की फजीहत करने पर सख्त पाबंदी होनी चाहिए। इस पर दलों के प्रमुखों को हस्तक्षेप करना चाहिए।
उनके साथ अपराध हुआ या उन्हें बरगला कर छद्म आरोप मढ़े गए, यह जांच का विषय है। कानून अपना काम करता रहेगा। मगर फौरी तौर पर इसे चुनावी फायदा उठाने वाला विषय बनाए जाने से बाज आना चाहिए। खास बात वीडियो के सामने आने की टाइमिंग की। शिक्षित और सभ्य समाज से यह उम्मीद कतई नहीं की जाती कि वे मतदाता को भावनात्मक तौर पर प्रभावित करने के लिए बलात्कार जैसी घिनौनी घटना को मुद्दा बनाए। यौन उत्पीड़न के आरोप गलत हैं या सही, इसका खुलासा जल्द हो।
साथ ही दोनों ही स्थितियों में आरोपियों को सख्त से सख्त सजा हो ताकि भविष्य में कोई राजनैतिक दल यौन शोषण जैसी संवेदनशील घटनाओं से लाभ का लोभ लेने के प्रति भयभीत रहें। एक बात तो तय है कि संदेशखालि का मसला भाजपा के लिए बेहतर मौका लेकर आया, मगर अब जिस तरह से तथ्य बाहर आ रहे हैं, वो कुछ और कहानी बयां करती हैं।
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