महंगाई का झटका

Last Updated 15 Feb 2023 01:48:16 PM IST

खुदरा महंगाई फिर से बेकाबू होती दिख रही है। सोमवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़े चौंकाने वाले हैं।


महंगाई का झटका

आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में खुदरा महंगाई दर तीन माह के उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गई यानी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर 6 प्रतिशत से ऊपर जा पहुंची है। इसमें भी महंगाई का आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में बनिस्बत ज्यादा रहा। वहां यह 6.85 प्रतिशत दर्ज किया गया। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्यत: खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। उसे मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत (दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ) पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

खुदरा महंगाई में उछाल के आंकड़े से पिछले साल के आखिरी दो महीनों में महंगाई के लिहाज से राहत की सांस लेने वाले आम जन को साल के पहले महीने में ही झटका लगा है। दिसम्बर में यह आंकड़ा 5.72 प्रतिशत और नवम्बर में 5.88 प्रतिशत था। आंकड़ों के मुताबिक खाने-पीने के सामान खास तौर पर दाल, चावल, गेहूं के दाम बढ़ने से महंगाई में उछाल आया है। आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 5.94 प्रतिशत और कोर महंगाई दर 6.1 प्रतिशत रही। दरअसल, खुदरा महंगाई दर में तेजी के साथ ही कोर यानी मूल महंगाई दर भी छह प्रतिशत से ज्यादा रहना चिंताजनक है।

मूल महंगाई दर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन से संबंधित होती है। इसमें खाद्य और ऊर्जा क्षेत्र शामिल नहीं किए जाते। ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर ज्यादा होना भी चिंता की बात है क्योंकि ऊंची महंगाई से ग्रामीणों की खरीद क्षमता प्रभावित हो सकती है। चिंता इसलिए भी है कि दिसम्बर में समाप्त तिमाही में ग्रामीण क्षेत्र में एफएमजीसी की बिक्री घटी थी। चूंकि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है, इसलिए लगता है कि केंद्रीय बैंक अगली मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट फिर बढ़ा सकता है यानी रेपो रेट बढ़ाने का सिलसिला जारी रह सकता है।

पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रही। इस वजह से रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हुआ था। अभी जारी आंकड़ों से लगता है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने के मामले में आक्रामक रुख बनाए रखेगा। बहरहाल, फरवरी-मार्च के खुदरा महंगाई के आंकड़े काफी अहम रहने वाले हैं क्योंकि उनसे पता चलेगा कि महंगाई तय दायरे में रहेगी या नहीं।



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