दुरुपयोग के विरुद्ध

Last Updated 29 Jul 2017 05:11:53 AM IST

कानून कमजोर की हिफाजत में अपराधियों के विरुद्ध दंड होता है. लेकिन जब कल्याणकारी कानून किसी बेकसूर को इरादतन सताने के काम आने लगे तो वह जुल्म में सहभागी हो जाता है.


दुरुपयोग के विरुद्ध

यही हुआ दहेज प्रताड़ना निरोधक कानून 498ए के साथ.

इसको बनाया गया था ताकि बहुओं को उनकी ससुराल में बेहैसियत दहेज के लिए मिल रहीं प्रताड़नाओं से बचाया जा सके.

एक समय था, जब नवविवाहिताओं को दहेज के लिए जिंदा जला दिया जाता, फांसी पर लटका दिया जाता था या किसी हथियार से उनकी हत्या कर दी जाती थीं. तब ऐसे मामलों को गैरजमानती करार देते हुए ससुराल वालों की सीधी गिरफ्तारी की व्यवस्था की गई थी. माना गया था कि दहेज हत्या रोकने के लिए यह डिटरेंट का काम करेगा.

जब ऐसे मामले में हथकड़ियों में जकड़े सभी ससुरालिये जेल जाने लगे तो इससे दहेज लोभियों में एक खौफ पैदा हो गया जबकि बहुओं को निश्चिंत व सुरक्षित. लेकिन जल्द ही इन बहुओं ने अपने इशारे पर ससुरालियों को नचाने के लिए दहेज प्रताड़ना के झूठ-मूठ के आरोप लगाने लगीं.

जिन पर आरोप लगता, वह कानूनन सीधा जेल जा पहुंचता. एनएसएसए का आंकड़ा है कि 2012 में दहेज प्रताड़ना के 3,72,706 मामलों में गिरफ्तार 3,17,000 निदरेष पाए गए. तो यह एक अच्छे मकसद से बनाये गए दंड-विधान के दुरुपयोग की इंतिहा थी. एक बड़ी त्रासदी थी. लेकिन इसमें उन कुछ नकचढ़ीं बहुओं और उनके मैकेवालों को ससुरालियों का भयादोहन करने में आनंद आने लगा. तो इस पर आवाज उठनी ही थी.

यह अच्छी बात रही कि खुद महिला संगठनों ने भी इसके नियमन की बात जोर-शोर से उठाई. यह बात 2014 से शुरू हुई और अब 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश जारी किया तो माना जाना चाहिए उसने तथ्यों की पर्याप्त छानबीन के बाद ही ऐसा किया होगा. इसके तहत, ससुरालियों की गैरजमानती गिरफ्तारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. जमानत मिलना सुनिश्चित कर दिया गया है.

सभी जिलों में ऐसे मामलों की सं™ोयता की जांच के लिए तीन सदस्यीय स्थानीय कमेटी बनाने की बात कही है, जो अपराध होने के एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रशासन को देगी. रिपोर्ट के आधार पर ही उस मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी या कोई कानूनी कार्रवाई होगी. बेकसूरों के लिए यह बड़ी राहत है. तो इससे वास्तविक मामलों के असल गुनहगार छूट तो नहीं जाएंगे? नहीं. यह व्यवस्था उन मामलों में लागू नहीं होगी, जिसमें बहुओं के शरीर पर यातनाओं स्पष्ट निशान हों.



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