पाकिस्तान को झटका

Last Updated 25 Jul 2017 04:37:26 AM IST

पाकिस्तान पर अमेरिका का एक के बाद एक दिया गया झटका यह बताने के लिए काफी है कि उसके स्वर्णिम दिन लद गए.


पाकिस्तान को झटका

डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने महज 24 घंटे के भीतर पाकिस्तान को  दिया. पहले तो उसने पाकिस्तान को आतंकवाद को शह देने वाले देशों की सूची में डाला और इसके बाद पाकिस्तान को एंटी टेरर फंड के रूप में दी जाने वाली भारी-भरकम रकम पर रोक लगा दी. पाकिस्तान को मिलने वाले करोड़ों के रक्षा बजट में तीन संशोधन किए गए हैं. यह प्रस्ताव 81 के मुकाबले 344 मतों से पारित हुआ. भारत के लिहाज से यह काफी बड़ी जीत है. और यह कदम भारत-अमेरिका के मजबूत होते रिश्ते को बयां करता है.

यों तो ट्रंप सरकार के आने के बाद से ही यह कयास लगाया जाने लगा था कि वह कुछ ऐसा कठोर फैसला जरूर लेंगे, जिससे पाकिस्तान जैसे घोर आतंक समर्थक मुल्क को यह संदेश जाए कि या तो वह आतंकवाद को लेकर अपनी बदनाम नीतियों की तिलांजलि दे या परिणाम भुगतने को तैयार रहे. हालांकि, ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के खिलाफ इतना सख्त फैसला अमेरिका ने पहली बार लिया है.

कई सबक मिलने और संभलने व समझने का मौका मिलने के बावजूद पाकिस्तान ने अमेरिकी उदारता का बेजा फायदा उठाया है. यही वजह है कि अमेरिका को अपने सबसे विस्त सहयोगी के विरुद्ध इतनी सख्ती के साथ पेश आना पड़ा. पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी सोच में बदलाव की वजह भी है.

हक्कानी नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने की बात हो या अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पर अंकुश लगाने की बात हो या भारत में आंतकी घटनाओं में सीधे तौर पर संलिप्तता का मसला; पाकिस्तान ने हमेशा अमेरिका और विश्व समुदाय की नसीहत और सुझावों को तवज्जो नहीं दी, उल्टे आतंकवादी गतिविधियों को शह देने लगा.

नतीजतन, उसका यह कच्चा चिट्ठा विश्व बिरादरी के सामने खुल गया. उसके पास अब दो ही विकल्प हैं. या तो वह आतंकवाद के जहरीले फन को कुचले या विश्व समुदाय का कोपभाजन बने. संतोष की बात है कि अब चीन को छोड़कर कमोबेश सभी मुल्कों ने भारत का आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के महत्त्व को समझा है. निश्चित रूप से यह पाकिस्तान के लिए सुधरने की परिस्थितियां हैं.



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