अलविदा पेरेज

Last Updated 29 Sep 2016 04:41:13 AM IST

इस्राइल के पूर्व राष्ट्रपति शिमोन पेरेज को जब दो सप्ताह पहले दिल का दौरा पड़ने पर अस्पताल में भर्ती किया गया था, तब कुछ लोगों को आशंका हुई थी कि संभवत: यह उनके लिए अंतिम दौरा साबित हो.


अलविदा पेरेज

उनकी आशंकाएं सही साबित हुई और 93 वर्ष की आयु में शिमोन पेरेज हमसे सदा के लिए विदा हो गए.

शिमोन इस्राइल के इस समय अकेले नेता थे, जो 1948 में इस राष्ट्र के अस्तित्व में आने के बाद से लगभग हर बड़े घटनाक्रम के अंग रहे. 70 साल के राजनीतिक करियर में वे 12 बार कैबिनेट में रहे, दो बार प्रधानमंत्री पद संभाला. फिर 2007 से 2014 तक राष्ट्रपति भी रहे. 1959 से 2007 तक वे इस्राइल के संसद नेसेट के लिए निर्वाचित होते रहे.

इस तरह से उनके स्तर का कोई नेता दुनिया में नहीं मिलेगा. लेकिन उनको सबसे ज्यादा याद किया जाता है 1994 में फिलिस्तीनी के साथ ऑस्लो संधि करने के लिए. यह संधि दोनों देशों में युद्ध की समाप्ति तथा शांतिकाल की शुरु आत के लिए जानी गई थी. यह संधि करके शिमोन ने पूरे विश्व को चौंका दिया था. उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे. उन्हें भी संधि को अंतिम रूप दिए जाने के बाद पता चला था.

यह ऐसा कदम था, जिसकी दुनिया को प्रतीक्षा थी और इसके लिए उन्हें फिलिस्तीनी राष्ट्रपति यासर अराफात के साथ 1994 में संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. एक व्यक्ति, जो डिप्टी डायरेक्टर जनरल तथा डायरेक्टर जनरल ऑफ डिफेंस रहा हो, जिसके कार्यकल में कई युद्ध हुए हों और उसमें भी उनकी भूमिका रही हो, वह व्यक्ति अचानक शांतिदूत बन जाए तो दुनिया का चकित होना स्वाभाविक था. इस्राइल का नेता अराफात से हाथ मिलाए यही उस समय अविसनीय था. यह काम शिमोन ने किया. इसके बाद भी वे देश के प्रधानमंत्री पद पर बने रहे तथा उसके 13 वर्ष बाद सात वर्षो के लिए राष्ट्रपति चुने गए. इसका अर्थ यह हुआ कि उनकी नीतियों को जन-स्वीकृति थी.

हालांकि उस संधि से इस्राइल-फिलिस्तीन की समस्या नहीं सुलझी, लेकिन पश्चिम एशिया में बहुत कुछ बदला. आज फिलिस्तीन एक देश के रूप में विद्यमान है तथा फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन एक राजनीतिक दल में परिणत हुआ तो उसका बहुत हद तक श्रेय शिमोन को जाता है.



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