चलेगा पैलेट गन

Last Updated 31 Aug 2016 01:25:59 AM IST

जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गनों के प्रयोग का विरोध करने वाले कुछ भी कहें, जो सूचना है इसको पूरी तरह वापस लिये लाने की संभावना नहीं है.


चलेगा पैलेट गन

गृहमंत्री ने इसके विकल्प सुझाने के लिए जो समिति गठित की थी उसके द्वारा सौंपी रिपोर्ट में हालांकि पावा शेल्स को विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया है, लेकिन पैलेट गनों के पूरी तरह हटाने का समर्थन नहीं किया है. समिति ने कश्मीर में संघर्ष कर रहे सुरक्षा बलों के प्रतिनिधियों से भी बात की थी.

उनका कहना था कि आप कोई भी विकल्प देते समय हमारी सुरक्षा का ध्यान अवश्य रखें. वस्तुत: जब सुरक्षा बलों पर लगातार पत्थरों से हमले हो रहे हों, बीच-बीच में हथगोले और एसिड बम तक फेंके गए हों, उसमें आप उन्हें निरस्त्र नहीं कर सकते. कोई-न-कोई अस्त्र उनको चाहिए.

हां, वे ज्यादा घातक न हों, कम -से-कम क्षति पहुंचाए इसका अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए. इसी सोच के तहत 2010 में पैलेट गनों का प्रयोग आरंभ हुआ. पैलेट गन को तब नन लीथल यानी गैर घातक हथियार के तौर पर प्रयोग की अनुमति दी गई थी.

लेकिन इस बार की हिंसा में इस पैलेट गन से ही 69 लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं. इसके बाद से पैलेट गनों को खलनायक बनाकर इसका विरोध किया जा रहा है. हालांकि पैलेट गन नहीं होता तो जो स्थिति थी, उसमें हताहत होने वालों की संख्या कई गुणा ज्यादा हो सकती थी. सरकार के सामने प्रश्न था कि किया क्या जाए? आंसू गैस के गोले या वाटर कैनन कश्मीर में पहले से ही अप्रभावी हो चुके हैं.

तो ले देकर पावा शेल्स पर बात आकर रु की है. पावा शेल्स को आप मिर्च का गोला भी कह सकते हैं. इसके प्रयोग से निशाने पर आए लोगों को थोड़ी जलन होती है और कुछ समय के लिए वे सुन्न से हो जाते हैं. यानी वे किसी तरह की गतिविधि करने की स्थिति में नहीं रहते. यह गैर घातक हथियारों की श्रेणी में आएगा. इसका परीक्षण किया जा चुका है.

जाहिर है, उत्पादन के बाद इसे सुरक्षा बलों को प्रयोग के लिए दे दिया जाएगा. किंतु उग्र हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने में इसकी प्रभाविता पैलेट गन की तरह नहीं हो सकती. इसलिए पावा शेल्स के बावजूद पैलेट गनों का प्रयोग बंद करना कतई व्यावहारिक नहीं हो सकता. सरकार ने नि:संदेह पैलेट गन की उपयोगिता घाटी के संदर्भ में समझी होगी, तभी इसे खत्म करने के चौतरफा दबाव के बावजूद खारिज नहीं किया. आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार को इनपुट क्या मिला होगा?



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