दलाली पर राजनीति
अगस्ता वेस्टलैंड दलाली कांड पर राजनीतिक धींगामुश्ती दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस नेतृत्व वाली पूर्व यूपीए सरकार के दौरान यह सौदा हुआ, उसी दौरान भुगतान हुआ और तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति तभी हुई.
अगस्ता वेस्टलैंड दलाली कांड (फाइल फोटो) |
जाहिर है, सौदे को पटाने के लिए घूस देने, गलत बिल बनाने के लिए अगर इटली की मिलान कोर्ट ऑफ अपील ने अगस्ता एवं फिनामेनिका के अधिकारियों को सजा दी है तो फिर भारत में दलाली और घूसखोरों को तलाशा ही जाएगा. संयोग से मिलान कोर्ट ने कई संदर्भों में कुछ नामों का उल्लेख किया है कि जिसमें अधिकारियों के साथ कांग्रेस के नेता ही शामिल हैं.
वैसे भी राजनीतिक तंत्र की संलिप्तता के बगैर यह सौदा हो ही नहीं सकता था. तो कांग्रेस के सामने भीषण समस्या है. वह शांतिपूर्वक भारत में हो रही जांच की प्रतीक्षा करने की जगह हमलावर की भूमिका अपना रही है. वह संसद में हंगामा कर रही है तो सड़कों पर उतरने की धमकी दे चुकी है. सड़क पर उतरने या सरकार का विरोध करने से सच झूठ साबित नहीं हो सकता.
कांग्रेस कह रही है कि सरकार उनके शीर्ष नेतृत्व को बदनाम करने का षड्यंत्र कर रहा है. जो कुछ आया है इटली की जांच और वहां के न्यायालय के फैसले से. यह तो हो नहीं सकता कि इटली का न्यायालय मोदी सरकार के साथ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ षड्यंत्र में शामिल हो गया. इसलिए यह आरोप किसी के गले नहीं उतरेगा.
कांग्रेस इस समय वाकई कठघरे में खड़ी है. हां, भाजपा के रवैये को भी सत्तारूढ़ पार्टी का रवैया कहने में हिचक हो रही है. भाजपा के नेताओं को समझना चाहिए कि वे सत्ता में हैं. वे विपक्षी दल नहीं है. सरकार का काम ऐसे मामलों में कार्रवाई से जवाब देना होता है न कि विपक्ष से प्रश्न पूछना. आपके सामने जितने तथ्य हैं, उनके आधार पर कार्रवाई हो सकती है.
सोनिया गांधी या कांग्रेस से प्रश्न पूछने से आपकी भूमिका की इतिश्री नहीं हो जाती. आपके पास भारत में हुई जांच के तथ्य हैं और मिलान कोर्ट का फैसला भी. दोनों के आधार पर तत्काल जितना सच है, वह सामने लेकर सरकार आए. देश को बताए कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में किस तरह हमारी गाढ़ी कमाई दलाली के रूप में ली गई तथा लेने वाले निश्चित और संभावित चेहरे कौन-से हैं. फिर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाए.
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