अमेरिका में मोदी

Last Updated 30 Apr 2016 04:24:50 AM IST

आठ जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब अमेरिकी संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित कर रहे होंगे तो पूरी दुनिया की नजर उनके भाषण पर होगी.


अमेरिका में मोदी

हालांकि मोदी ऐसा करने वाले भारत के पांचवें प्रधानमंत्री होंगे. उनके पहले राजीव गांधी, नरसिंह राव, अटलबिहारी वाजपेयी एवं मनमोहन सिंह अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित कर चुके है.

बावजूद इसके मोदी के भाषण का अपना अलग महत्व होगा. अपने दो साल के कार्यकाल में मोदी का यह पहला द्विपक्षीय राजकीय दौरा होगा. पहले वे जब भी अमेरिका गए किसी न किसी कार्यक्रम से और उसे ही बाद में या बीच में द्विपक्षीय बातचीत में बदला गया. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विशेष तौर पर राजकीय अतिथि के रूप में मोदी को आमंत्रित किया है.

ओबामा ने दुनिया के कुछ प्रमुख नेताओं की ऐसी मेजबानी की है. यह दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय-अंतरराष्ट्रीय मामलों पर खुलकर बात करने और अपनी साझेदारी मजबूत करने का अवसर होगा. यह कहना ठीक नहीं होगा कि चुनावी वर्ष होने के कारण इस दौरे का कुछ खास महत्व नहीं है. अभी 20 जनवरी, 2017 तक बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति हैं.

जून से जनवरी तक छह महीने से ज्यादा का समय है. इसमें अनेक घटनाएं हो सकती हैं, जिनमें दोनों नेताओं को एक दूसरे की आवश्यकता हो. दूसरे, अमेरिका की विदेश नीति में लगभग निरंतरता रही है. ऐसा नहीं हो सकता कि जो मोदी और ओबामा तय करेंगे उसे आने वाले राष्ट्रपति खत्म कर नए सिरे से शुरु  करेंगे. जो वाजपेयी और क्लिंटन ने किया, उसे जॉर्ज बुश ने जारी रखा और बाद में ओबामा ने. इसलिए इस यात्रा के महत्व को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए.

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर रेयान ने कहा है कि मोदी का संबोधन हमें दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचित नेता का भाषण सुनने का खास मौका देगा. नरेन्द्र मोदी के लिए यह अवसर होगा अमेरिकी सांसदों को भारत के मूल्यों और वि दृष्टि से अवगत कराने का. मोदी वर्तमान समस्याओं और आवश्यकताओं पर भारत की सोच से दुनिया को अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक सांस्कृतिक दूत की भूमिका भी निभाते रहे हैं.

भारत के लोग उनसे अमेरिकी संसद के संबोधन में भी यही अपेक्षा करेंगे. राष्ट्र के रूप में भारत के पास ऐसे सनातन विचार हैं, जिनसे दुनिया को मार्गदशर्न मिल सकता है. इसे बेहतर तरीके से रखने का अमेरिकी संसद से बढ़िया कोई मंच नहीं हो सकता.



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