चीन के दबाव

Last Updated 30 Apr 2016 04:16:07 AM IST

विदेश मंत्रालय ने चीन के प्रवासी असंतुष्टों का वीजा रद्द करने की जितनी सफाई दी, उतना ही वह उलझ गया.


चीन के दबाव

उइगर कांग्रेस के चेयरमैन डोल्कन इसा को पहले वीजा देकर फिर मना ही नहीं किया गया, बल्कि दो और असंतुष्टों लु जिंगवा और रा वोंग को धर्मशाला में दलाई लामा के बहुधर्मी सम्मेलन में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी गई.

लु जिंगवा थ्येन अन मन चौक के चर्चित विद्रोह से जुड़ी रही हैं और अब अमेरिका में रहती हैं. रा वोंग हांगकांग स्थित चर्चित मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. इसा को जर्मनी में शरण मिली है. विदेश मंत्रालय ने तीनों के वीजा आवेदनों को खारिज करने की वजह कुछ तकनीकी किस्म की खामियां बताई और किसी तरह के चीन के दबाव को खारिज किया.

लेकिन यह तथ्य भी अपनी जगह है कि जब इसा को वीजा मिलने की पिछले हफ्ते खबर आई तो हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल बीजिंग में थे और कथित तौर पर पाकिस्तानी अतिवादी अजहर मसूद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवादियों की फेहरिस्त में शामिल कराने के चीनी विरोध पर अपनी आपत्ति दर्ज कर रहे थे. बाकी चीनी अधिकारियों से उनकी क्या बातचीत हुई होगी, इसका कयास ही लगाया जा सकता है.

यह तो विदेश मंत्रालय भी मानता है चीन ने अपने असंतुष्टों को एक मंच पर मिलने का मौका मुहैया कराने पर विरोध जताया था. इसा के मामले में उसने इंटरपोल के रेडकार्नर नोटिस का हवाला दिया था. लेकिन संबंधित चीनी असंतुष्टों के मामले में इसे अमेरिका या पश्चिमी यूरोप के दा तवज्जो नहीं देते. फिर हम क्यों इतने परेशान हो रहे हैं?

जाहिर है, हम चीन के दबाव में आ गए. सवाल यहां यही नहीं है कि इस तरह हम अपनी पहले की नीतियों से हट रहे हैं और तिब्बत के सवाल पर भी हमारी स्थितियां बदल गई हैं, अहम यह है कि हमारी विदेश नीति में अब किन बातों पर जोर दिया जाने लगा है? क्या विदेश नीति सिर्फ व्यापार और पूंजी निवेश केन्द्रित होकर रह गई है? चीन और जापान या दूसरे देशों से संबंधों का आधार क्या महज व्यापारिक ही होना चाहिए?

अगर यही है तो चीन वगैरह की प्राथमिकताएं तो कुछ और भी दिखती हैं जैसा कि अजहर मसूद के मामले में उसने जाहिर किया है. उस मामले में तो उसने हमारी चिंताओं का रत्ती भर सम्मान नहीं किया. फिर भी हम उसकी चिंताओं पर दोहरे हो गए जबकि संबंधित चीनी असंतुष्टों की तुलना किसी मायने में अजहर जैसे तत्वों से नहीं की जा सकती. यह गंभीर और विचारणीय मामला है.



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