चीन में सिख खिलाड़ियों का अपमान, भारत ने अंतरराष्ट्रीय संस्था के सामने उठाया मामला

Last Updated 23 Jul 2014 07:41:08 PM IST

खेल मंत्रालय ने चीन में हाल में संपन्न हुए फीफा एशिया कप के दौरान दो सिख खिलाड़ियों से उनकी पगड़ी उतरवाने की घटना पर 'हैरानी और आक्रोश' जताया.




चीन में सिख खिलाड़ियों का अपमान (फाइल फोटो)

खेल मंत्रालय ने भारतीय बास्केटबाल महासंघ (बीएफआई) से इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी जिसने पहले ही अंतरराष्ट्रीय संस्था के सामने यह मसला उठा दिया है. बीएफआई के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने उन्हें पत्र लिखा है और जवाब का इंतजार कर रहे हैं. एक बार जवाब मिलने के बाद हम उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे.''

खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि मंत्रालय ने आईओसी से कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों को जरूरी दिशानिर्देश जारी करे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं दोहरायी जाएं.

सिख खिलाड़ियों की पगड़ी उतरवाने का मामला गंभीर
सोनोवाल ने विज्ञप्ति में कहा, ''हम हैरान हैं. पगड़ी पहनने से खेल प्रभावित नहीं होता और अंतरराष्ट्रीय खेल चैंपियनशिप में इसको लेकर आपत्ति नहीं होती है. इसलिए हाल की घटना से हम हैरान और आहत हैं. हमने बीएफआई से बात करके विस्तृत रिपोर्ट देने के लिये कहा है.''

उन्होंने कहा, ''हमने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से भी अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों को जरूरी दिशानिर्देश देने के लिये कहा है ताकि फिर से घटनाएं नहीं हों. हमारी सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनकी भावनाएं आहत नहीं हों यह सुनिश्चित करने के लिये अपनी तरफ से सब कुछ करेगी.''

दो सिख खिलाड़ियों अमृतपाल सिंह और अमज्योत सिंह को वुहान में फीबा एशिया कप में भारत और जापान के बीच 12 जुलाई को खेले गये मैच में कोर्ट पर नहीं उतरने दिया गया और उनसे पगड़ी उतारने के लिये कहा गया.

अंतरराष्ट्रीय बास्केटबाल महासंघ के अधिकारियों ने खिलाड़ियों से कहा कि उन्हें पगड़ी पहनकर खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि यह नियमों का उल्लंघन है.

बीएफआई प्रवक्ता ने कहा, ''गुरुवार को दोहा में फीबा एशिया की वाषिर्क आम सभा है और बीएफआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के गोविंदराज उसमें भाग लेंगे और यह मसला वहां उठाएंगे.''

इन दोनों खिलाड़ियों को पहले शुरूआती पांच खिलाड़ियों में नहीं रखा गया और पगड़ी उतारने के बाद ही उन्हें खेलने दिया गया. इसके बाद टूर्नामेंट के बाकी छह मैचों में भी उन्हें पगड़ी पहने बिना ही खेलना पड़ा.

फीबा के नियमावली के अनुच्छे 4.4.1 के अनुसार, ''खिलाड़ी ऐसा कोई उपकरण नहीं पहन सकते हैं जिससे अन्य खिलाड़ियों को चोट पहुंचे और हेडगियर (सिर का पहनावा), बालों से जुड़ा सामान और गहने पहनने की अनुमति नहीं है.''

अमज्योत ने कहा कि पहले कभी उन्हें इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने कहा, ''जब हमें अपनी पगड़ी उतारने के लिये कहा गया तो यह हमारे लिये बहुत अपमानजनक था. हम हमेशा पगड़ी पहनकर खेलते हैं और यहां तक कि अभ्यास के दौरान भी इसी तरह से खेलते हैं.''

अमृतपाल ने कहा, ''यदि हर समय हमें अपनी पगड़ी उतारने के लिये कहा जाएगा तो यह हमारे धर्म का अपमान होगा.''

खेल जगत में घटना की कड़ी निंदा

इस घटना पर खेल जगत ने कड़ी प्रतिक्रिया की है और महान धावक मिल्खा सिंह ने इसे गंभीर मसला करार दिया. उन्होंने कहा, ''मुझे इस पर खेद है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. अपने करियर के दौरान दुनिया मैं कहीं भी खेलने के लिये गया मैंने पगड़ी पहने रखी. यहां तक कि सभी हॉकी खिलाड़ी और अन्य खेलों से जुड़े सिख खिलाड़ी भी हमेशा पगड़ी पहनते हैं.''

उन्होंने कहा, ''यह गंभीर मसला है. यदि उन्हें संदेह था तो वह किसी उपकरण से उनकी पगड़ी की जांच कर सकते थे. मेरा मानना है कि बीएफआई को अंतरराष्ट्रीय संस्था के सामने यह मसला उठाना चाहिए.''

भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह ने भी इस घटना पर नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा, ''यह हैरानी भरा है. ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि दुनिया भर में हेडगेयर पर पाबंदी नहीं है.''

उन्होंने कहा, ''केवल मुक्केबाजी में वे सिर पर कुछ पहनकर रिंग में नहीं उतरने देते हैं. लेकिन बास्केटबाल में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. मुझे लगता है कि स्थानीय स्तर पर जानकारी की कमी के कारण ऐसा हुआ. बीएफआई को भारतीय ओलंपिक संघ को लिखना चाहिए और उसे अंतरराष्ट्रीय बास्केटबाल के सामने यह मसला उठाना चाहिए. इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.''

तरलोचन ने कहा, ''चीन में भारतीय राजदूत को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और उन्हें (आयोजकों को) तुरंत इस गलती के बारे में बताना चाहिए.''



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