बिना पेड़-पौधे उगाएं फल-सब्जी किचेन में

Last Updated 28 Oct 2016 01:29:39 PM IST

फिनरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जिससे रसोई घर में ही कुछ दिनों के अंदर मनपसंद फल और सब्जियां उगाई जा सकेंगी.




(फाइल फोटो)

इस तकनीक के तहत पौधे के उसी हिस्से को उगाया जाएगा, जिसे भोजन में इस्तेमाल करना है. तकनीकी अनुसंधान केंद्र वीटीटी के वैज्ञानिक डॉ. लॉरी रायटर ने फिनलैंड के ईस्पू से खास बातचीत में बताया कि उनकी टीम ने सेलपौड उपकरण का आविष्कार किया है जिससे रसोई घर के टेबल पर रखकर सात दिनों के अंदर मनचाही सब्जी अथवा फल उगाया जा सकेगा.

इसके रीडी पिट्रेड प्रोटोटाइप से बेरी की कई किस्में उगाई जा रही हैं. तीस वर्षीय युवा वैज्ञानिक ने कहा, ‘सेलपौड से एक सप्ताह में दो सौ से चार सौ ग्राम बेरियां उगाई जा रही हैं.

हमारी कोशिश है कि इस नायाब एवं उपयोगी आविष्कार से रोमांच भरे अनुभव का दायरा बढ़े और भविष्य में हम प्रतिदिन इससे बनाए गए स्वास्यवर्धक फलों और सब्जियों का आनंद उठाएं’.

डॉ. रायटर ने कहा, ‘प्रयोगशाला में बड़े बायोरिएक्टर में उगाए जाने वाले प्लाट सेल कर्ल्चस का उपयोग दवाएं और कॉस्मेटिक्स बनाने में किया जाता है लेकिन सेलपौड का मकसद घर में प्लांट सेल विकसित कर खाद्य पदार्थ बनाना है.

यह बेहद उपयोगी और सामयिक अविष्कार है. इसमें विशेष रूप से विकसित पौधों की कोशिकाओं से फल अथवा सब्जी प्राप्त की जा सकेगी. आने वाले दिनों में विश्व के किसी कोने में बैठा व्यक्ति अपने पसंद का खाद्य पदार्थ पैदा कर सकता है और वह भी अपने रसोई घर में.

उन्होंने कहा कि शहरीकरण और कृषि की वजह से पर्यावरण पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के कारण आधुनिक कृषि जैव प्रौद्योगिकी के मार्ग को प्रशस्त करने की आवश्यकता है और सेलपौड इस कड़ी में पहला कदम है.

इस साल के अंत तक प्रोटीन प्रोडक्शन इन प्लांट सेल कर्ल्चस पर डॉक्टरेट की उपाधि के लिए शोध पा जमा करने की तैयारी में लगे डॉ. रायटर ने कहा, सेलपौड का आविष्कार नई तकनीक के आधार पर किया गया.

लैंप के डिजायन वाला यह उपकरण इनक्यूबेटर की तरह है जिसमें ‘अनडिफरशिएटेड प्लांट सेल्स’ कुछ दिनों में बढ़ने लगते हैं. कुछ दिनों में कोशिकाओं के आकार -प्रकार और रंग रूप में परिवर्तन आने लगता है. सात दिनों के अंदर कोई सब्जी या फल के रूप में जो भी आपकी प्लेट में आएगा उसे देखकर आप रोमांचित हो जाएंगे.

डॉ. लॉरी रायटर ने बताया कि इस तरह के उत्पादन में केवल उपयोगी हिस्सों का ही उत्पादन किया जा सकेगा यानी पेड़- पौधे अथवा झाड़ियां उगाए बिना ही सब्जी और फलों का उत्पादन किया जा सकेगा.
 

भाषा


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