उत्तराखंड: मुनस्यारी का ट्यूलिप गार्डन बटोर रहा वाहवाही

Last Updated 12 May 2020 01:45:02 PM IST

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीन दिन पहले जब राज्य के मुनस्यारी क्षेत्र में विकसित किए जा रहे ट्यूलिप गार्डन की खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं तो वे देखते ही देखते इंटरनेट पर छा गयीं।


मुनस्यारी का ट्यूलिप गार्डन

रावत ने ट्वीट किया, ‘‘मैं अपनी स्वप्न परियोजना-मुनस्यारी स्थित ट्यूलिप गार्डन- के सफल पायलट प्रोजेक्ट की पहली तस्वीरें साझा करते हुए बहुत खुश हूं। पंचाशूली रेंज की पृष्ठभूमि से सजा यह गार्डन दुनिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में से एक है और यह मुनस्यारी क्षेत्र में पर्यटन में बड़ा बदलाव लायेगा।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘30 हेक्टेयर में फैले 'मुनस्यारी नेचर एजुकेशन एंड इको पार्क सेंटर' का एक हिस्सा ट्यूलिप गार्डन के रूप में विकसित किया जा रहा है और यह पिथौरागढ़ में बन रहे ट्यूलिप गार्डन से अलग है। इस पार्क में हट के साथ टेन्ट में रहने की सुविधा भी उप्लब्ध है।’’

रंग-बिरंगे ट्यूलिप के चित्र देखकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खुद को रोक नहीं सके।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘पंचाशूली की पृष्ठभूमि में उगाए जा रहे फूल सुंदर हैं लेकिन हमारे श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन इससे कहीं ज्यादा सुंदर हैं।’’

रावत ने अब्दुल्ला के इस ट्वीट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

ट्विटर और फेसबुक पर इन तस्वीरों को देखकर तुरंत ही भारी संख्या में लोग इसके प्रशंसक बने गये और उन्होंने न केवल इन्हें पसंद किया बल्कि जमकर तारीफ करते हुए इन्हें साझा भी किया ।

यह पायलट प्रोजेक्ट मुनस्यारी में 1200 वर्गमीटर के क्षेत्र में विकसित किया गया है । इसके जनक और पिथौरागढ़ के प्रभागीय वन अधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि इस परियोजना के लिए 7000 ट्यूलिप बल्ब हॉलैंड से मंगवाए गये और सभी अंकुरित भी हो गये।

उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस परियोजना को विकसित करने का सपना दिवंगत स्थानीय विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने देखा था। लेकिन पिछले साल जून में उनके अचानक निधन के बाद भार्गव ने इस परियोजना का प्रस्तुतिकरण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने दिया जिसे उन्होंने तत्काल सहमति प्रदान कर दी।

भार्गव ने कहा कि उनका प्रयास इस परियोजना को विस्तारित करने का है जिसमें उत्तराखंड में पाए जाने वाले दूसरे खूबसूरत फूल जैसे आइरिस, लिलियम, रेननकुलुस, डेफोडिल आदि भी उगाये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि इस परियोजना को इस तरह से विकसित किया जाएगा जिससे पर्यटन के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो।

भाषा
देहरादून


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