उत्तराखंड में घटी खुदकुशी करने वालों की तादाद

Last Updated 30 Jul 2015 03:39:08 PM IST

अब यह तो नहीं पता कि उत्तराखंड के सामाजिक आर्थिक हालात सुधरे हैं या पुलिस ने ही मामले दर्ज नहीं किए, मगर प्रदेश में खुदकुशी करने वालों की तादाद में करीब 43 फीसद की कमी आई है.


खुदकुशी करने वालों की तादाद घटी (फाइल फोटो)

जहां 2013 में प्रदेश में 365 यानी रोजाना एक आत्महत्या हो रही थी, वहीं 2014 में यह संख्या घटकर 207 ही रह गई है. यह बात और है कि अब भी खुदकुशी के मामलों में कमी के मामले में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है.

देश में आत्महत्या में कमी के मामले में आंध्र प्रदेश दूसरे व नागालैंड पहले स्थान पर है. वैसे देश भर की बात करें तो देश भर में 2013 में 134799 लोगों ने खुदकुशी की जबकि 2014 में यह संख्या घटकर 131666 हो गई यानी कुल मिलाकर आत्महत्याओं में 2.3 फीसद की कमी आई. वैसे तो खुदकुशी के मामले में उत्तराखंड का हिस्सा 0.2 फीसद ही है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2013 से 2014 में उत्तराखंड में खुदकुशी के मामलों में 43.3 फीसद गिरावट आई है.

नागालैंड की बात करें तो वहां 2013 में केवल 37 खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए जबकि 2014 में ये घटकर 13 हो गए यानी खुदकुशी में 64.9 फीसद की कमी आई. आंध्र प्रदेश में 2013 में 14607 खुदकुशी के मामले दर्ज हुए, जबकि 2014 में 6101 यानी 58.2 फीसद की कमी आई.

उत्तराखंड में 2014 में जो 207 मामले दर्ज किए गए उनमें से आठ परीक्षा में फेल हो जाने के कारण, 26 पारिवारिक समस्याओं के कारण, चार बीमारी के कारण हुए. एक व्यक्ति ने प्रेम प्रसंग के कारण जान दी जबकि एक ने बेरोजगारी की वजह से खुदकुशी की. करियर से संबंधित समस्याओं के कारण 15 लोगों ने जान दे दी तो शादी से जुड़ी समस्याओं की वजह से 20 लोगों ने खुद अपनी इहलीला समाप्त कर ली. आठ लोगों ने अज्ञात कारणों के कारण आत्महत्या की तो 124 ने अन्य कारणों से.

मनोचिकित्सक डॉ. वीना कृष्णन का कहना है कि हालांकि आत्महत्याओं में कमी एक अच्छा संकेत है लेकिन इस बारे में और सोचने की जरूरत है कि आखिर लोग खुदकुशी जैसा आत्मघातीकदम क्यों उठा लेते हैं.

दरअसल हमें यह बहुत बाद में पता चलता है कि व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति पहले से मौजूद थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है. उनका कहना है कि मानसिक परेशानियों व ऐसी प्रवृत्तियों के संकेत मिलने पर भी ज्यादातर लोग इस बारे में मनोचिकित्सक की सलाह लेने से गुरेज करते हैं जबकि अगर समय पर मनोचिकित्सा करा ली जाए तो खुदकुशी को रोका जा सकता है.

मणिपुर में सबसे ज्यादा 35.1 फीसद बढ़ी आत्महत्याएं

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2013 से 2014 तक जहां देश में आत्महत्याओं में कमी आई वहीं मणिपुर में सबसे ज्यादा यानी 35.1 फीसद आत्महत्याएं बढ़ी हैं.

इसके बाद सिक्किम में 32.6 फीसद, मिजोरम में 22.1, पुडुचेरी में 17.9, हिमाचल में 16.2 और पश्चिमी बंगाल में 9.6 फीसद बढ़ोतरी हुई.

अरविंद शेखर
एसएनबी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment