गंगा और इसकी सहायक नदियों में उपखनिज के चुगान को मंजूरी
केंद्र सरकार ने राज्य की पांच नदियों में रेत- बजरी के चुगान की इजाजत दी है.
पांच नदियों में चुगान करने की मिली इजाजत |
उपखनिज के चुगान की इजाजत मिलने से प्रदेश भर में निर्माण सामग्री के दामों में भारी कमी आनेऔर अवैध चुगान पर लगाम लगने की उम्मीद है.
शनिवार को प्रदेश के वनमंत्री दिनेश अग्रवाल ने वन विभाग के मंथन सभागार में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने हरिद्वार जिले के तहत गंगा व उसकी सहायक नदियों में उपखनिज के चुगान को मंजूरी दे दी है.
प्रदेश के वन्यजीव बोर्ड ने पिछले साल इन क्षेत्रों के प्रस्ताव मंजूरी के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे थे. 21 जनवरी को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है.
उन्होंने बताया कि 15 मार्च तक वन निगम इन क्षेत्रों को लेकर टेंडर व लोक सुनवाई आदि की प्रक्रिया खत्म कर देगा और 15 मार्च से इन क्षेत्रों में उपखनिजों का चुगान शुरू हो जाएगा.
वनमंत्री ने कहा कि केंद्र से चुगान की इजाजत मिलने से इन क्षेत्रों में बाढ़ नियंतण्रका काम आसान होगा क्योंकि रेत बजरी का खनन होने से नदियों का ऊपर उठा हुआ तल गहरा होगा और पहाड़ों से आने वाले पानी का निकास आसानी से होगा.
उन्होंने उम्मीद जताई कि नए खनन क्षेत्रों की इजाजत मिलने से प्रदेश की जनता को सस्ती रेत बजरी मिल सकेगी.
गौरतलब है कि कि प्रदेश में सीमित क्षेत्रों में चुगान की इजाजत मिलने से रेत बजरी दूसरे राज्यों से आती है जो कि महंगी होती है। इस मौके पर प्रदेश के प्रमुख सचिव वन डॉ. रणवीर सिंह, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक एसएस शर्मा, उत्तराखंड वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. श्रीकांत चंदोला, मुख्य वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, मनोज चंद्रन आदि वनाधिकारी भी मौजूद रहे.
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