बरेली में महिला प्रधान ने सुनाया फरमान, खुले में शौच किया तो 300 रुपए का जुर्माना

Last Updated 03 May 2016 03:14:59 PM IST

उत्तर प्रदेश के बरेली में रामनगर ब्लॉक की कमठेना ग्राम पंचायत ने खुले में शौच करने पर 300 रुपए का जुर्माना देने का फरमान सुनाया है.




(फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान का असर अब दूर-दराज के गांवों में दिखने लगा है. जिले के रामनगर ब्लाक के कमठेना ग्राम पंचायत की महिला प्रधान मुक्तेश्वरी देवी ने अपने गांव में खुले में शौच करने वाले लोगों पर पचास रुपए से तीन सौ रुपए तक जुर्माना लगाने के आदेश दिया है.

यह अलग बात है कि गांव में अभी तक सभी घरों में शौचालय नहीं बन सके हैं. स्वच्छता गोष्ठी में जब महिला प्रधान ने यह फरमान सुनाया उस समय जिला पंचायत राज अधिकारी दिनेश सिंह भी वहां मौजूद थे. इस बैठक मे खुले में शौच से गांव के लोगों को होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया.

लोगों को समझाया गया कि इससे गांव मे बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है. इस बैठक में गांव के कई लोगों ने यह तर्क भी दिया कि उनके घरों में शौचालय नहीं है तो उनके पास खेतों और जंगलों में जाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है.

ग्राम प्रधान मुक्तेश्वरी देवी ने उन्हें भरोसा दिया कि उनके घरों में जल्द शौचालयों के निर्माण करा दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि गांव को साफ रखने की लोगों में इच्छा शाक्ति होनी चाहिए.

जब तक उनके घरों में शौचालयों का निर्माण नहीं होता, तब तक वे अपने पड़ोसियों के यहां सरकारी अनुदान से बने शौचालयों का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर कोई मना करे तो इसकी शिकायत उनसे की जाए.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब खुले में शौच के लिए कोई नहीं जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने खुले में शौच करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने का फैसला भी सुना दिया.

गांव में मुनादी करा दी गई है कि खुले में शौच करने के आरोपी पर पहली बार पचास रुपए, दूसरी बार सौ रुपए, तीसरी बार दो सौ रुपए और चौथी बार तीन सौ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा. गांव में बने स्वच्छता दल को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी सौपी गई है.

जिला पंचायत राज अधिकारी की मौजूदगी में हुए ग्राम पंचायत के इस फैसले की वैधता पर सवाल भी उठने लगे है. हालांकि ग्राम पंचायत राज अधिकारी दिनेश सिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार है. जिले के राजनीतिक क्षेत्र में यह फैसला चर्चा का विषय बन गया है.

ज्यादातर ब्लाक प्रमुखों और गांवों की राजनीति से जुडें नेताओं का कहना है कि ज्यादातर स्थानों पर शौचालय तय मानक से नीचे के हैं, जिसकी वजह से लोग उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है कि जिला प्रशासन को शौचालयों के निर्माण में मानकों का सख्ती से पालन कराना चाहिए.

गांवों में भी शिक्षा का विस्तार हो रहा है. शौचालयों की अच्छी सुविधा मिलने पर लोग इनका इस्तेमाल अपने आप करने लगेंगे.



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