मैगी के और नूमनों का परीक्षण कर रहा है उत्तर प्रदेश सरकार का विभाग
उत्तरप्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं दवा प्रशासन (यूपी एफडीए) लोकप्रिय व्यंजन मैगी के कुछ और बैच के नमूनों का परीक्षण कर रहा है ताकि उनके गुणवत्ता मानकों की जांच की जा सके.
मैगी के और नूमनों का परीक्षण (फाइल फोटो) |
विशेषकर बच्चों व किशोरों में लोकप्रिय यह खाद्य उत्पाद प्रमुख एफएमसीजी कंपनी नेस्ले बनाती है. यूपी एफडीए ने मैगी के लगभग दो लाख पैक बाजार से वापस निकालने के आदेश दिये हैं. कंपनी को आने वाले समय में और कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
उल्लेखनीय है कि नमूना परीक्षण में मैगी के नमूनों में सीसा व खाद्य उत्पादों में मिलाये जाने वाले कुछ अन्य रासायनिक योगिक निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक पाए जाने पर यूपी एफडीए ने नेस्ले इंडिया से पिछले महीने फरवरी 2014 में बने मैगी पैक बाजार से वापस लेने को कहा था. इस बैच की मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटोमेट :एमएसजी: तथा सीसे की मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक पायी गयी.
बाराबंकी के जिला रसद अधिकारी वी के पांडे ने बताया,‘ एहतियाती कदमों के तहत यूपी एफडीए ने इस साल अप्रैल में तीन चार और बैच को परीक्षण के लिए भेजा है. इनकी जांच रपटों का इंतजार किया जा रहा है.’
पांडे ने कहा कि कंपनी का मैगी में एमएसजी नहीं होने संबंधी दावा जांच में गलत पाया गया. जांच के लिए भेजी गई मैगी में प्रति दस लाख अंश में सीसे का अंश 17.2 अंश :17.2 पीपीएम: पाया गया है जबकि इसके लिए अनुमतियोग्य स्तर 2.5 पीपीएम ही है.
उन्होंने कहा कि जांच रपटों के आधार पर ही मैगी को ‘ स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित व नुकसानदेय’ घोषित किया गया.
यूपी एफडीए के अतिरिक्त आयुक्त राम अर्ज मौर्य ने कहा,‘ हमने 10-15 दिन पहले नेस्ले से कहा था कि वह अमुक बैच के मैगी नूडल्स को वबाजा से वापस ले.’
वहीं नेस्ले इंडिया का कहना है कि 30 अप्रैल 2015 को लखनऊ में अधिकारियों ने मैगी नूडल्स के एक बैच :लगभग दो लाख पैक: को वापस लेने को कहा. ‘ ये पैक फरवरी 2014 में बने थे और इनकी ‘श्रेष्ठ इस्तेमाल तारीख’ नवंबर 2014 में ही हो चुकी थी.’
कंपनी ने यूपी एफडीए के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि कंपनी इस आदेश से सहमत नहीं है और वह अधिकारियों के समक्ष जरूरी ज्ञापन पेश कर रही है.
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