लोकदेवता रामदेव की भक्ति के रंग में रंगा राजस्थान का मारवाड़

Last Updated 26 Aug 2014 09:20:43 PM IST

राजस्थान का मारवाड़ क्षेत्र इन दिनों लोक देवता बाबा राम रामदेव की भक्ति के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है.


लोकदेवता रामदेव की भक्ति के रंग में रंगा राजस्थान का मारवाड़

प्रदेश में लगने वाले लख्खी मेलों में बाबा रामदेव का मेला पहले स्थान पर आता है. यह मेला पूरे भाद्र माह चलता है और 25-30 लाख लोग देश के कोने-कोने से रामदेवरा आकर बाबा रामेदव के दर्शन करते हैं.

इन दिनों मारवाड़ की हर सड़क, शहर व कस्बा बाबा के जातरूओं से भरा हुआ है और रेलवे स्टेशनों पर तो बाबा के भक्तों के कारण खडे होने की जगह मिलना मुश्किल हो रही है.

यही नहीं ट्रेनों का भी यही हाल नजर आता है. बाबा के पैदल जातरूओं के जत्थे अपने हाथों में सात रंगों वाली बाबा की ध्वजा लेकर मारवाड़ की सड़कों पर चलते हुए रामदेवरा पहुंचने को लालायित नजर आ रहे हैं.

मारवाड़वासी भी बाबा के भक्तों की सेवा सत्कार के लिए पलकें बिछाए हुए हैं तथा हर सड़क मार्ग पर एक दो किलोमीटर की दूरी पर नि:शुल्क राम रसोडे, विश्रामस्थल एवं चाय पान की स्टालें खोल दी है जिनका बाबा के जातरू लाभ उठा रहे हैं.

\"\"रामदेव को सभी धर्मों के लोग समान रूप से पूजते हैं. हिन्दू एवं अन्य धर्म वाले इसे बाबा रामदेव तथा मुस्लिम धर्म वाले इन्हें रामसापीर के नाम से मानते हैं. लोग बाबा सेअनेक मिन्नतें मांगते हैं और उनके पूरी होने पर लोग उसके दरबार में माथा टेकने अवश्य आते हैं.

राजस्थान के हर जिले से जातरू आते हैं इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों के लोग रामदेवरा आते हैं. अपने समय काल में बाबा रामेदव ने छूआछूत का विरोध करते हुए अनुसूचित जाति की एक लड़की डालीबाई को अपने साथ घर में रखा. वह बाबा के अनन्य भक्तों में से एक थी.

वर्तमान में भी बाबा के मंदिर के पास डालीबाई का मंदिर बताया जाता है. छूआछूत का विरोधी होने के कारण ही बाबा के भक्तों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग अधिक माने जाते हैं. वैसे तो बाबा का मेला एक माह तक चलता है लेकिन भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की दूज एवं दसम का विशेष महत्व माना जाता है.

जोधपुर शहर स्थित मसूरियां पहाड़ी पर रामदेव के गुरू बालिकनाथ की समाधी स्थल पर दूज को विशाल मेला लगता है जबकि दसम को रामदेवरा में बाबा की समाधी स्थसल पर भारी मेला रहता है.

यह मान्यता रही है कि बाबा के गुरू की समाधी के दर्शन किए बिना ही रामदेवरा जाने वाले जातरू को इच्छित लाभ नहीं मिल पाता है. इस कारण लोग पहले मसूरिया आते हैं और बाद में रामदेवरा पहुंचते हैं.

 रेलवे ने जोधपुर रामदेवरा के लिए तीन विशेष मेला रेलगाडियों का संचालन किया है तथा रोडवेज प्रशासन ने हर आधे घंटे से जोधपुर रेल्वे स्टेशन से रामदेवरा के लिए विशेष बस सेवाएं संचालित की जा रही है.

 



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