दिल्ली-NCR की हवा में कोई सुधार नहीं, लगातार 7वें दिन 'बेहद गंभीर'; CM केजरीवाल ने प्रदूषण को लेकर बुलाई बैठक

Last Updated 06 Nov 2023 09:46:33 AM IST

दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में सोमवार सुबह प्रदूषण का स्तर सरकार द्वारा तय सुरक्षित स्तर से सात से आठ गुना अधिक दर्ज किया गया और लगातार सातवें दिन क्षेत्र के ऊपर वातावरण में जहरीली धुंध छाई रही।


आप नेताओं के अनुसार, बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों की रूपरेखा तैयार करने के लिए केजरीवाल दोपहर 12 बजे दिल्ली सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

दिल्ली सरकार ने रविवार को प्राथमिक स्कूलों को 10 नवंबर तक बंद करने का ऐलान किया।

राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को न्यूनतम तापमान मौसम के औसत तापमान से कम 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शहर में सापेक्ष आर्द्रता सुबह साढ़े आठ बजे 98 प्रतिशत दर्ज की गई।

मौसम विभाग ने दिन में आसमान साफ रहने तथा अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान जताया है।

राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' और 'अति गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है। सुबह नौ बजकर पांच मिनट पर शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 437 रहा। शादीपुर, आईटीओ, सिरी फोर्ट, आर के पुरम, पंजाबी बाग, दिल्ली विश्वविद्यालय केंद्रों पर एक्यूआई क्रमश: 438, 400, 430, 462, 469 और 454 दर्ज किया गया।
 

सीपीसीबी के अनुसार मोती बाग का 488, पटपड़गंज का 471 और आरके पुरम का AQI 466 दर्ज किया गया है। 

 

 


यहां तक कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने प्रदूषण और बढ़ने से रोकने के लिए रविवार को पूरे दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। इसके साथ ग्रैप के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के सभी उपाय भी लागू रहेंगे।

ग्रैप वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र के सीएक्‍यूएम द्वारा तैयार किए गए उपायों का एक समूह है। चौथा चरण प्रदूषण चेतावनी का उच्चतम स्तर है।

ग्रैप के चौथे चरण के तहत आठ सूत्र कार्य योजना संपूर्ण एनसीआर में तत्काल प्रभाव से लागू है। कार्ययोजना के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

हालाँकि आवश्यक वस्तुएं ले जाने वाले/आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों और सभी एलएनजी/सीएनजी/इलेक्ट्रिक ट्रकों को अनुमति दी जाएगी।

आवश्यक वस्तुओं को ले जाने/आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वालों को छोड़कर, दिल्ली में पंजीकृत डीजल चालित मध्यम माल वाहन (एमजीवी) और भारी माल वाहन (एचजीवी) के चलने पर भी प्रतिबंध रहेगा।

सरकार छठी से नौवीं और ग्‍यारहवीं कक्षा ऑनलाइन मोड में कक्षाओं के आयोजन का निर्णय ले सकती है।

सरकार और प्रशासन सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालयों को 50 प्रतिशत क्षमता पर काम करने और बाकी को घर से काम करने के लिए कह सकती हैं।

राज्य सरकारें अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर विचार कर सकती हैं जैसे कॉलेजों/शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना और वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करना, और वाहनों के लिए ऑड-ईवेन की व्‍यवस्‍था लागू करना।

इससे पहले दिल्ली में रविवार को प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित सख्त प्रतिबंध लगाए गए और हवाओं की प्रतिकूल दशाओं तथा समूचे उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी के कारण तीन दिनों में यहां की वायु गुणवत्ता दूसरी बार ‘अत्यंत गंभीर’ की श्रेणी में दर्ज की गई।

हर दिन शाम चार बजे दर्ज किया जाने वाला पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शनिवार के 415 से बढ़कर रविवार को 454 दर्ज किया गया, जिसके कारण केंद्र ने अपनी वायु गुणवत्ता नियंत्रण योजना ‘ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान’ (ग्रैप) के अंतिम चौथे चरण के तहत जरूरी सभी आपात उपायों को लागू किया।

ग्रैप की श्रेणी में चार चरण आते हैं : पहला चरण - ‘खराब’ (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण - ‘बेहद खराब’ (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण - ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण - अत्यंत गंभीर (एक्यूआई 450)। दिल्ली में एक्यूआई सोमवार सुबह सात बजे 440 था।

पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कई शहरों में वायु गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंचने की सूचना है।

पास के गाजियाबाद (413), गुरुग्राम (369), नोएडा (403), ग्रेटर नोएडा (396) और फरीदाबाद (426) में भी वायु गुणवत्ता सुबह सात बजे खतरनाक श्रेणी में दर्ज की गई।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, आगामी पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदूषकों को तितर बितर करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मंगलवार रात से बनने की संभावना है। इसके कारण उत्तर पश्चिम भारत में बेमौसम बारिश हो सकती है।

श्वसन प्रणाली में गहरे तक जाने में सक्षम और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने वाले अत्यंत सूक्ष्म कण पीएम 2.5 की सांद्रता पूरे दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तय सीमा से सात से आठ गुना अधिक है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक था।

चिकित्सकों के अनुसार, जहरीली धुंध मौजूदा श्वसन समस्याओं वाले लोगों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है।

वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, धान की पराली जलाने, पटाखों और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियां हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण उस समय चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है।

नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के अनुसार, रविवार को उत्तर भारत से खेतों में पराली जलाने की कुल 4,160 घटनाएं हुईं - जो इस मौसम में अब तक की सबसे अधिक घटनाएं हैं।

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले पंजाब में पराली जलाने की 3,230 घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस मौसम में अब तक एक दिन में राज्य में सबसे ज्यादा है।

क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) राज्यों से सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाने और सरकारी एवं निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने के लिए कहा है।

ग्रैप के चौथे चरण के तहत, अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस छह-अनुपालक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति है। केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छूट दी गई है। सीएक्यूएम के हालिया आदेश के अनुसार, आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने वाले सभी मध्यम और भारी माल वाहनों के प्रवेश पर भी राजधानी में प्रतिबंध लगा दिया गया है।

सीएक्यूएम ने दो नवंबर को गैर-आवश्यक निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की विशिष्ट श्रेणियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।

दिल्ली सरकार ने छोटे बच्चों को खतरनाक प्रदूषण से बचाने के प्रयास के तहत सभी प्राथमिक विद्यालयों को दो दिनों के लिए बंद करने की भी घोषणा की है।

तापमान में धीरे-धीरे गिरावट, प्रदूषकों को तितर बितर करने में असमर्थ मंद हवाएं और पंजाब और हरियाणा में कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 अंक से अधिक बढ़ गया, जो शुक्रवार को ‘अत्यंत गंभीर’ की श्रेणी में पहुंच गया।

शुक्रवार का 24 घंटे का औसत एक्यूआई (468) 12 नवंबर, 2021 को दर्ज किए गए 471 के पिछले उच्च स्तर के बाद से सबसे खराब था।

राष्ट्रीय राजधानी वायु संकट से जूझ रही है, जबकि दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की पहचान करने और इसके अनुसार कार्रवाई करने में मदद करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया अपनी तरह का पहला अध्ययन हाल में डीपीसीसी अध्यक्ष अश्विनी कुमार के आदेश पर रोक दिया गया था।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार, कुमार ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दो साल पहले कनॉट प्लेस में स्थापित एक बड़े स्मॉग टॉवर के संचालन को ‘‘एकतरफा’’ रोकने का आदेश दिया।

दुनिया के देशों में राजधानी शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है।

अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की लगभग 12 साल की उम्र कम कर रहा है।
 

भाषा/आइएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment