नोटबंदी: जहां भी जरूरी है, छूट दी गई है: उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सरकार ने नोटबंदी के मुद्दे पर जहां भी जरूरी है, \'\'छूट\'\' दी है. अदालत ने शादी के लिए बैंकों से ढाई लाख रूपये निकालने की सीमा में ढील की मांग को लेकर दायर याचिका पर फैसला मंगलवार के लिए सुरक्षित रखा.
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो) |
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा, \'\'जहां भी जरूरी है, छूट पहले से ही दी गई है.\'\'
याचिकाकर्ता ने दिसंबर के अंत तक 1000 और 500 रूपये के पुराने नोटों को अदालत का शुल्क और जुर्माना भरने में प्रयोग करने देने की मांग भी की है.
केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल :एएसजी: संजय जैन ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सरकार ने पहले से ही कुछ छूट दी हैं लेकिन कुछ शतरें की जरूरत है ताकि कोई इनका दुरूपयोग नहीं कर पाए.
जैन ने पीठ से कहा कि हमने छूट दी हैं. शादियों के लिए, अगर हम शत्रें नहीं लगाएंगे तो कोई भी शादी का कार्ड छपवाकर ढाई लाख रूपये निकालने बैंक जा सकता है.
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता बीरेंद्र सांगवान ने कहा कि शादियों के लिए ढाई लाख रूपये निकालने की सीमा में छूट दी जानी चाहिए क्योंकि शादी समारोह के दौरान कई तरह का \'\'पारंपरिक दान\'\' देना होता है.
सांगवान के वकील ने कहा, \'\'शादियों के लिए आजादी दी जानी चाहिए ताकि व्यक्ति परंपराओं के अनुसार धन दे सकें. कोई शपथपत्र कैसे दे सकता है? दिशानिर्देश के अनुसार, शादी करने वाले पुजारी को भी बैंक खाता नहीं होने का शपथपत्र देना है. दूल्हा दुल्हन के माता पिता को इस तरह की एकतरफा शतरें के बिना अपने खातों से धन निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए.\'\'
जब उन्होंने अदालत शुल्क का भुगतान करने का मुद्दा उठाया तो पीठ ने एएसजी से पूछा, \'\'आप अदालत द्वारा लगाए जाने वाले जुर्माने के बारे में क्या कहते हैं? क्या यह पुराने नोटों के जरिये नकदी में भुगतान नहीं किया जा सकता है?\'\'
जवाब में एएसजी ने कहा, \'\'पुराने नोट अदालत शुल्क के भुगतान के लिए स्वीकार किया जा रहे हैं\'\' और सरकार ने आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर कई छूट दी हैं.
सुनवाई के बाद पीठ ने कहा, \'\'हम कल आदेश पारित करेंगे.\'\'
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