दिल्ली सरकार के स्कूलों में मिड डे मील की गुणवत्ता जांच नहीं
दिल्ली सरकार जांच प्रयोगशाला का चयन ना होने के कारण पिछले चार महीनों से मिड डे मील कार्यक्रम के तहत अपने स्कूलों में परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता की जांच कराने में नाकाम रही है.
मिड डे मील |
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में यह पता चला है.
शिक्षा निदेशालय (डीओई) के प्रावधानों के तहत नामित प्रयोगशाला को खाने में पोषण की मात्रा और स्वच्छता के मानकों की जांच के लिए हर महीने चार नमूने लेने होते हैं. इनमें से दो नमूने रसोईघरों और दो स्कूलों से लिए जाते हैं.
सेंटर फोर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा हाल में जारी की गयी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि करीब 64 प्रतिशत छात्रों को मिड डे मील की गुणवत्ता पसंद नहीं आ रही. इसके बावजूद दिल्ली सरकार गुणवत्ता की जांच कराने में नाकाम रही है.
आरटीआई आवेदन के जवाब में पता चला कि एक मार्च, 2015 के बाद से प्रोटीन एवं कैलरी संबंधी पोषण मात्रा की जांच के लिए मिड डे मील का कोई नमूना नहीं लिया.
मिड डे मिल के सहायक निदेशक अभिजीत साप्रा ने आरटीआई के जवाब में कहा, ‘‘खाने की जांच करने वाली प्रयोगशाला के चयन का काम जारी होने के कारण इस अवधि में प्रोटीन एवं कैलरी संबंधी पोषण मात्रा की जांच के लिए मिड डे मील का कोई नमूना नहीं लिया.’’
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