मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्य सचिव के 'पर कतरे'

Last Updated 02 Aug 2015 06:25:08 AM IST

दिल्ली सरकार ने मुख्यसचिव के अधिकारों में बड़ी कटौती कर उनके पर कतर दिए हैं.




मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवा और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)

सरकार ने उनके मंत्रिमंडल के लिए बनाए जाने वाले कैबिनेट नोट पर शुरुआत में ही विस्तृत विवेचना करने का अधिकार समाप्त कर दिया है. नई व्यवस्था के तहत कैबिनेट नोट को सम्बद्ध विभाग द्वारा तैयार किया जाएगा तथा विभाग अपने मंत्री से उस पर सहमति लेगा. उसके बाद कानून व वित्त विभाग, विभागीय सचिव तथा मुख्यमंत्री की भूमिका अहम होगी.

सारी प्रक्रिया पूरी हो जाने पर मुख्य सचिव की भूमिका महज पोस्ट आफिस की तरह कैबिनेट नोट ठीक बैठक के पूर्व मंत्रियों को वितरण करने की होगी. यानी मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव में बिलकुल भरोसा न जताते हुए सारी निर्णय प्रक्रिया अपने हाथों में ले ली है क्योंकि सभी काबीना मंत्री उनसे पूछे बगैर रत्ती भर कदम नहीं बढ़ा सकते हैं.

दिल्ली सरकार ने नई व्यवस्था लागू करने हेतु इस संबंध में विस्तृत पत्र जारी कर दिया है जिसे सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किया गया है. जिस विभाग के मामले में कैबिनेट का नोट बनाया जाना है, उक्त विभाग द्वारा इसे तैयार कर विभागीय मंत्री से सहमति लेनी होगी. पूर्व व्यवस्था में कैबिनेट के निर्णय के प्रारंभिक चरण से ही इस पर चर्चा मुख्य सचिव से शुरू होती थी.

अब शुरुआत में तो मुख्य सचिव को पता भी नहीं चलेगा कि कैबिनेट द्वारा किस विषय पर फैसला लिया जाना है. नई व्यवस्था के तहत विभागीय मंत्री की स्वीकृति के बाद अन्तर्विभागीय मंत्रणा शुरू होगी जिसके तहत योजना, कानून व वित्त विभाग की मंजूरी आवश्यक है जिसे पूरा किया जाएगा.

यानी महत्वपूर्ण फैसले की अगली कड़ी में मुख्य सचिव की भूमिका शून्य होगी. योजना, कानून व वित्त विभाग द्वारा दी सलाह को शामिल करने के बाद कैबिनेट नोट सीधे मुख्यमंत्री के हवाले कर दिया जाएगा. मुख्यमंत्री द्वारा इस पर स्वीकृति मुहर लगाने के बाद इसे विभाग के सचिव को भेजा जाएगा. फिर विभागीय सचिव इसे मुख्य सचिव को भेजेंगे. यानी कैबिनेट नोट बन चुका व मुख्यमंत्री ने अपनी मुहर लगा दी तो फिर यह मुख्य सचिव के हवाले कर दिया जाएगा.



अब मुख्य सचिव इसे मंत्रिगण में वितरित करेंगे तथा इसकी प्रति उपराज्यपाल को भेजेंगे. यानी दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की नीति निर्धारण में भूमिका महज कैबिनेट नोट बांटने की होगी जबकि नौकरशाही के मुखिया का रोल प्रारंभिक स्तर पर चर्चा से लेकर इसपर विस्तृत चर्चा और निर्णय में पूरी भागीदारी तक होती है.

मंत्रियों तक कैबिनेट नोट पहुंचने के बाद इसे मंत्रिमंडल की बैठक के एजेंडा में शामिल किया जाएगा. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस नए नियम को मुख्यमंत्री की अनुमति से जारी किया है, यानी यह निर्णय मुख्यमंत्री ने ही लिया है. लिहाजा दिल्ली सरकार के मुख्यसचिव के पर कतर दिए हैं.

 

 

संजय के झा
एसएनबी


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