सरकार की सुगबुगाहट ने बढ़ाई ‘आप’ की धड़कनें

Last Updated 30 Aug 2014 05:42:18 AM IST

दिल्ली में सरकार बनने की सुगबुगाहट के बीच आम आदमी पार्टी की धड़कनें बढ़ गई हैं. पार्टी के भीतर खिचड़ी पक रही है.




आम आदमी पार्टी के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (फाइल फोटो)

विधायकों की नब्ज टटोलने के लिए
शुक्रवार को मनीष सिसोदिया ने बैठक बुलाई थी, लेकिन बैठक में तमाम विधायक गैरहाजिर रहे. पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता भी एक दूसरे को फोन करके पूछ रहे हैं कि कौन-कौन विधायक टूट सकते हैं.

दिल्ली में एक बार फिर सरकार बनाने को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. उपराज्यपाल नजीब जंग और गृहमंत्रालय के बीच भी सरकार बनाने को लेकर गुप्त वार्तालाप जारी है. भाजपा नेताओं के दोअर्थी बयान भी सरकार बनाने की सुगबुगाहट को बल प्रदान कर रहा है. फिलहाल सबकी निगाहें राजनिवास पर टिकी है.

आम आदमी पार्टी के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव से पहले उपराज्यपाल से मिलकर विधानसभा भंग न करने की सिफारिश की थी. उस दौरान व लोकसभा चुनाव के बाद भी आप नेता कांग्रेस के साथ मिलकर एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द सिंह लवली ने अपने सभी विधायकों के साथ प्रेसकांफ्रेंस करके एकजुटता का परिचय देते हुए कहाकि उनके विधायक भाजपा या आप को समर्थन नहीं देंगे.

फिर आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल से मिलकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश की. सरकार भंग करने को लेकर आप ने कोर्ट में एक याचिका दायर की है. मामला संविधान पीठ को ट्रांसफर किया गया है. 9 सितम्बर को इस मामले में सुनवाई है. इससे पहले भाजपा ने एक बार फिर सरकार बनाने को लेकर अंदरखाने में सक्रियता बढ़ा दी है. इससे आम आदमी पार्टी में बेचैनी है.

विधानसभा भंग करने और दिल्ली में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग को लेकर जहां आप हस्ताक्षर अभियान चला रही है वहीं कुछ दिन पूर्व रोहिणी से आप विधायक राजेश गर्ग ने यह कहकर पार्टी की हवा निकाल दी कि पार्टी में केवल दो लोग चुनाव चाहते हैं, बाकी 25 विधायक सरकार बनाने के पक्ष में हैं. पार्टी के विस्त सूत्रों की मानें तो अंदरखाने में खिचड़ी पक रही है.

यही वजह है कि शुक्रवार को मनीष सिसोदिया ने पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई थी. बैठक में केवल एक दर्जन विधायक ही शामिल हुए. बाकी कुछ विधायकों ने मीटिंग व अन्य कार्यक्रम का बहाना बनाकर नहीं आए. तमाम विधायकों का मोबाइल डायवर्ट या स्विच ऑफ है. दरअसल पार्टी में मतभेद चरम पर है. पूर्व कानून मंत्री व पार्टी के संस्थापक सदस्य शांति भूषण ने केजरीवाल के नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करके मुश्किल में डाल दिया है.

पार्टी से इस्तीफा देने के बाद शाजिया इल्मी भी पार्टी के खिलाफ लामबंदी में सक्रिय बताई जा रही हैं. हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली में चुनाव ही एकमात्र विकल्प है. भाजपा के पास भी सरकार बनाने का आंकड़ा नहीं हैं. ऐसे में उपराज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने के लिए कैसे आमंत्रित करते हैं, देखने की बात है. संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए विधानसभा भंग कर चुनाव की घोषणा करनी चाहिए.

रविशंकर तिवारी
एसएनबी


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