अब केंद्र सुलझाएगा अनधिकृत कालोनियों का मुद्दा
राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा सीधे अपने हाथों में लेते हुए केंद्र सरकार इनके नियमन के लिए 15 दिन के भीतर ‘एक्शन-प्लान’ बनाने में जुट गई है.
अब केंद्र सुलझाएगा अनधिकृत कालोनियों का मुद्दा |
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के नेतृत्व में सभी एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है. माना जा रहा है कि एक्शन प्लान आने के 6 माह के अंदर कॉलोनियों को नियमित करने की कवायद को अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
हालांकि अब तक अनधिकृत कॉलोनियों की संख्या तय नहीं है और इस मसले पर शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली विकास प्राधिकरण, नगर निगमों व दिल्ली सरकार के नगर विकास विभाग के अधिकारियों के बीच गतिरोध बरकरार है. डीडीए ने मंत्रालय के समक्ष 2002 तक की 904 कॉलोनियों की सूची पेश की है जबकि नगर विकास विभाग ने 129 कॉलोनियों की अतिरिक्त सूची पेश की है.
हालांकि दिल्ली के सांसद व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हषर्वर्धन ने सभी सांसदों के हवाले से शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू से कहा है कि गत वर्ष तैयार हुई सूची के हिसाब से सभी 1639 कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए जबकि सरकार ने 1218 कॉलोनियों को प्रोविजनल प्रमाण पत्र जारी किए हैं.
यानी कुल मिलाकर कितनी कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा, यह तो अभी तय नहीं है लेकिन वेंकैया नायडू ने एक बात साफ तौर पर कही है कि दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करना सरकार की प्राथमिकता है. इसके लिए एक एक्शन प्लान तैयार होगा और उसको मंजूरी मिलने के बाद समयबद्धता के साथ कॉलोनियों को नियमित कर उनमें नागरिक सुविधाएं उपलव्ध कराई जाएंगी. इस मुद्दे पर मंगलवार को निर्माण भवन में काफी देर तक चली बैठक से कई और बातें भी साफ हो गई हैं.
अभी तक यह तय नहीं था कि इन कॉलोनियों में विकास के काम कौन करेगा, लेकिन अब यह माना जा रहा है कि सभी काम मंत्रालय द्वारा गठित एक एजेंसी से कराए जाएंगे. इस एजेंसी में दिल्ली सरकार, डीडीए, नगर निगम, एनडीएमसी सहित अन्य विभागों के अधिकारी होंगे और वे समन्वय स्थापित कर नियमितीकरण का कार्य तेजी से करेंगे.
प्रस्तावित एक्शन प्लान में वर्तमान कॉलोनियों के नक्शे आदि शामिल कर उनके विकास में आने वाली लागत का जिक्र होगा. यह रकम शहरी विकास मंत्रालय द्वारा मुहैया कराई जाएगी. यह रकम कौन खर्च करेगा, यह एक्शन प्लान आने के बाद तय होगा. कुल मिलाकर जिस तरह से अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा शहरी विकास मंत्रालय ने अपने हाथों में लिया है और दिल्ली के सभी उच्च पदस्थ अधिकारियों से चर्चा की है, उससे कांग्रेस व आम पार्टी में खलबली मच गई है.
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