झीरम के जवानों को मोबाईल पर बात करने के लिए अब नहीं चढ़ना पड़ेगा पेड़ों पर
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों के सबसे बड़ा गढ़ माना जाने वाला दरभा क्षेत्र इन दिनों नक्सलमुक्त होने के कगार पर है.
(फाइल फोटो) |
इसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा वहां पर कैम्प खोलने के साथ ही उस क्षेत्र के सैकड़ों नक्सलियों ने जहां आत्मसमर्पण किया है वहीं सैकड़ों नक्सली मुठभेड़ में मारे भी जा चुके हैं.
कैम्प में तैनात पुलिस जवानों द्वारा उच्चाधिकारियों को मोबाईल कनेक्शन न मिलने, अपने साथियों और परिजनों से बात करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बात करने के लिए कई बार जवानों को पेड़ पर चढ़ना पड़ता है या फिर किसी ऊंची चोटी पर जाकर खबर बतानी पड़ती है.
इस समस्या से निजात पाने के लिए अब दरभा घाटी (झीरम घाटी) में मोबाईल टावर लगाने के साथ ही कुछ कंपनियों द्वारा 4 जी की शुरूआत भी कर दी गई है, जिसका सिग्नल काफी अच्छा बताया जा रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि अब अधिकारियों को किसी भी बात की सूचना देने के लिए अपने मोबाईल फोन को टावर स्थल पर रखने के लिए न तो पेड़ पर लटकाना पड़ेगा न ही बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़ेगा. 4 जी के शुरू होने से वहां कैम्प में रहने वाले जवानों के साथ ही क्षेत्र के ग्रामीणों को भी इस सुविधा का लाभ असानी से मिलेगा.
जिस गांव में लोग बिजली न होने के कारण टीवी तक नहीं देख पाते थे, टावर लग जाने से ग्रामीण अब अपने फोन पर अब सीधे लाईव टीवी देख सकते हैं.
पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की पहल के चलते कई अधिकारी भी इस सिम का उपयोग करने के साथ ही सुविधा का लाभ आसानी से ले सकेंगे, जिससे कि राउंड द क्लाक की जानकारी अपने अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं.
कैम्प में रहने वाले जवान जब जंगलों में सर्चिंग करने जाते थे तो क्षेत्र में मोबाईल सिग्नल न मिलने के कारण वे सभी कटे हुए रहते थे. जब कभी वे सर्चिंग के बाद वापस आते थे तो उन्हें घटना की जानकारी मिलती थी, लेकिन अब इस सुविधा के बढ़ जाने से काफी हद तक जवान मोबाईल फोन से सूचना का आदान-प्रदान कर सकेंगे.
इस सुविधा से जवानों को काफी राहत मिलने की बात उपपुलिस अधीक्षक विजय पांडे ने बताई. पहले जवान फोन में बात करने के लिए अपने कैम्प में जुगाड़ करके एक टावर बनाकर रखे हुए थे, जिसके माध्यम से वे बात करते थे.
सुरक्षा जवानों के कैम्प के अंदर झीरम में पहले एक पेड़ के पास ही सिग्नल मिलता था. जहां पर जवान अपने परिजनों और आला अधिकारियों के साथ बातें करते थे.
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