कांग्रेस को मिला जीवदान, बहती गंगा में धोया हाथ
बिहार विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश की जोड़ी के आगे मोदी की जादू नहीं चला. वहीं कांग्रेस को जीवदान मिला है. राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
कांग्रेस |
बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर विश्वास जताते हुए महागठबंधन को दो तिहाई बहुमत से सत्ता सौंपी है. बिहार विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश की जोड़ी के आगे भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जादू नहीं चला. भाजपा गठबंधन को करारी हार झेलनी पड़ी है.
भाजपा 2010 में जीती अपनी 91 सीट भी नहीं बचा पायी और करारा झटका लगा है. जबकि कांग्रेस को जीवदान मिला है. राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
वामपंथी पार्टियों में मात्र भाकपा माले को ही दो सीटों पर कामयाबी मिली है जबकि भाकपा का सूपड़ा साफ हो गया है. 243 सदस्यीय बिहार विधान सभा में राजद को 80, जदयू को 71, कांग्रेस को 27, भाजपा को 53, लोजपा को 3, रालोसपा को 2, हम को 1, भाकपा माले को 2 और निर्दलीय को 4 सीटों पर कामयाबी मिली है.
हायतौबा मचाने वाले पप्पू यादव, समाजवादी पार्टी, राकांपा वोटकटवा पार्टी साबित हुई. रविवार को राज्य के 39 मतगणना केंद्रों पर सभी 243 सीटों के लिए मतगणना हुई.
पोस्टल बैलेट की गिनती में भाजपा गठबंधन आगे चल रहा था. इससे जोश में आकर भाजपा कार्यकर्ता पटाखे छोड़ने लगे. वहीं ज्यों-ज्यों परिणाम आगे बढ़ता गया त्यों-त्यों भाजपा में मायूसी छाने लगी और महागठबंधन में खुशी की लहर दौरने लगी.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी सीट मखदुमपुर से चुनाव हार गये जबकि इमामगंज से चुनाव जीतने में कामयाब रहे. लालू प्रसाद के दोनों बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
वहीं लोजपा नेता रामविलास पासवान के परिजनों को जनता ने फिर से धूल चटा दिया है. लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस और सांसद रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस कुमार अपनी सीट निकालने में विफल साबित हुए.
गत चुनाव से तुलना की जाये तो 16वीं बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे फायदा राजद और कांग्रेस हुआ है. राजद 22 से 80 सीटों पर पहुंच गया है जबकि कांग्रेस चार से 27 पर पहुंच गयी है.
भाजपा 91 सीटों से सिमट कर 53 पर आ गयी है जबकि लोजपा फिर से अपनी 3 सीटें बचाने में कामयाब रही है. वामपंथी पार्टियों में भाकपा माले ने दो सीटों पर जीत दर्ज कर इसिहास रचा है.
Tweet |