सता रहा है भितरघात का भूत

Last Updated 22 Apr 2014 05:20:22 AM IST

दल आधारित जातीय समीकरण के साथ जीत की जमीन तैयार कर रहे 24 अप्रैल वाले चरण के कई लोकप्रिय उम्मीदवारों को अब भितरघात का भूत डराने लगा है.


शहनवाज हुसैन (भाजपा) एवं असरारुल हक (कांग्रेस) (फाइल फोटो)

इन चुनाव में फंसे राज्य के कई चर्चित नेता होने वाले नुकसान की भरपाई को लेकर दलों के रणनीतिकार के साथ ‘डैमेज कंट्रोल’ में लग गए हैं.

भितरघात का भूत खासकर भागलपुर, अररिया व सुपौल के प्रत्याशियों के लिए परेशानी भरा साबित होते जा रहा है. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र को ही लें तो यहां से भाजपा के प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को अपने ही दल के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अिनी कुमार चौबे के समर्थकों से खतरा है. समय गवाह है कि श्री चौबे और श्री हुसैन की बीच की खटपट सुर्खियां बनती रहीं हैं. श्री चौबे चाहते भी थे कि श्री हुसैन अपने पुराने लोकसभा क्षेत्र किशनगंज से चुनाव लड़ें. अपने गृह क्षेत्र भागलपुर से श्री चौबे खुद चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके लिए पार्टी पर दबाव भी बनाया. यह दीगर कि श्री हुसैन ने कभी मुखर विरोध नहीं किया लेकिन पार्टी ने श्री हुसैन को भागलपुर से ही चुनाव लड़ने को कहा. श्री चौबे को उनके गृह क्षेत्र से 250 किमी दूर स्थित बक्सर लोकसभा क्षेत्र चुनाव लड़ने को भेज दिया.

यहां से चुनाव लड़ रहे राजद के उम्मीदवार शैलेश कुमार उर्फ बूलो मंडल की भी राह आसान नहीं. राजद से नाता तोड़ कर जदयू में आये पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी, श्री चौधरी के बेटे विधायक सम्राट चौधरी, पूर्व विधायक अमित राणा से ही बूलो मंडल को विशेष खतरा है. ये सारे राजद के प्रभावशाली नेता थे. श्री मंडल को राजद के वोट बैंक में सेंधमारी का भय सता रहा है. साथ ही गंठबंधन के साथी कांग्रेस का भी जोरदार समर्थन नहीं मिल रहा है. वहीं, सोनिया व  राहुल गांधी के मंच पर राजद नेताओं की भागीदारी नहीं होने से भी कांग्रेस के मतदाता राजद से सीधा जुड़ाव नहीं महसूस कर पा रहे हैं. वैसे भी जदयू के उम्मीदवार अबू कैसर का पुराना घर राजद ही रहा है. हाल ही में जदयू का दामन थामने के कारण मुस्लिम मतों पर दावा करते दिख रहे हैं.

सुपौल लोकसभा क्षेत्र में भी भितरघात का खेल चरम पर चल रहा है. जदयू की पिपरा विधानसभा क्षेत्र की विधायक सुजाता देवी जदयू के उम्मीदवार दिलकेर कामत से नाराज चल रही हैं. दरअसल सुजाता देवी को भरोसा था कि उनके पति विमोहन कुमार को जदयू से टिकट न मिलने के कारण उन्हें उम्मीदवार बनाया जाएगा. किन्तु जदयू ने दिलकेर कामत को जदयू का उम्मीदवार बना डाला. वैसे भी जदयू की विधायक सुजाता देवी और जदयू के उम्मीदवार दिलकेर कामत बिहार विधानसभा 2010 के चुनाव में आमने-सामने थे. इस वजह से भी आपसी कड़ुवाहट बनी हुई है.

किशनगंज से चुनाव लड़ रहे असरारुल हक को भी मुस्लिम मतों में सेंधमारी का डर सताने लगा है. दरअसल भाजपा ने मुस्लिम मतों में सेंधमारी की जो नीतिया बनाई है उससे भाजपा उम्मीदवार को मुस्लिम मत मिलने की संभावना बन रही है. भाजपा ने यहां से अपने कोषाध्यक्ष व विधान पाषर्द दिलीप जायसवाल को उतारा है. यह दीगर, किशनगंज के दो विधान सभा कोचाधामन व बायसी विस क्षेत्र में हो रहे उप चुनाव में भाजपा ने दोनों ही सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी देकर किशनगंज लोकसभा को संघर्ष में ला दिया है. खास कर जदयू उम्मीदवार अख्तरउल ईमान के चुनाव से अलग हो जाने के साथ. गत चुनाव में जीते असरारुल हक फिर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

श्री हक सूरजापुरी मुस्लिम हैं जबकि कोचाधमन से भाजपा विधायक अब्दुर रहमान शेरशाहवादी. साथ ही बायसी से भाजपा के  उम्मीदवार शमीम अख्तर व अमौर के विधायक सबा जफर कुल्हैया मुस्लिम है. अगर इनके प्रयास से शेरशाहबादी व कु ल्हैया मुस्लिमों का मत भाजपा की झोली में गया तो परिणाम रोचक हो सकते हैं. बहरहाल सब अपनी-अपनी जीत की राह तलाशने को भितरघात को कम करने की कोशिश में लग गये हैं. अब तो चुनाव परिणाम ही तय करेगा किसका कितना डैमेज कंट्रोल हो पाया.

चंदन
एसएनबी


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