मुद्रास्फीति में फिर आई तेजी, एक बडी चुनौती:

Last Updated 29 Jan 2010 08:28:32 AM IST


मुंबई। रिजर्व बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति में फिर से आई तेजी और खाद्यान्नों में और तेजी की संभावनाओं के बीच वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में देश की विकास दर को अनुमान के मुताबिक बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। बैंक ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा की पूर्व संध्या पर आज कहा कि 2009 के दौरान मानसून कमजोर रहने से फसलों को हुए नुकसान की वजह से आपूर्ति कमजोर रहने के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी आई है। लेकिन बैंक और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह आपूर्ति से जुड़ा हुआ मामला है और इसे मौद्रिक नीति के जरिए ठीक नहीं किया जा सकता है। बैंक का कहना है कि अन्य क्षेत्रों में भी दामों में तेजी आने का जोखिम बराबर बना हुआ है। बैंक का यह भी कहना है कि पर्याप्त तरलता बना रहना भी चिंता का विषय है और विनिर्माण तथा अन्य गतिविधियों में इसके कारण मुद्रास्फीति की दर में और भी तेजी आ सकती है। उन्होंने कहा कि अब तक सिर्फ खाद्य वस्तुएं ही महंगाई के लिहाज से चिंता का विषय बनी रही हैं लेकिन अब अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह से महंगाई के तेज होने की संभावनाएं ज्यादा प्रबल हो गई है। बैंक का कहना है कि परिस्थितियों को देखते हुए लगातार महंगाई की संभावना प्रबल बनी हुई है। जनवरी में मुद्रास्फीति की दर में जबर्दस्त तेजी देखने को मिली है। जनवरी के मध्य में इसमें चार माह की तुलना में तेजी देखी गई और गत 16 जनवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य पदार्थों की मंहगाई दर 17.40 प्रतिशत रही जो इससे पहले सप्ताह 16.81 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक का कहना है कि महंगाई की दर यदि इसी तरह से बढ़ती रहती है तो चालू वित्त वर्ष की चौथी और आखिरी तिमाही में देश के सामने मुद्रास्फीति ही बड़ी चुनौती होगी और इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर प्रभावित होगी फिर यह 6.9 प्रतिशत के आसपास ही बनी रहेगी। बैंक का कहना है कि महंगाई को कम करने में सहायता अब सिर्फ फसलों के कटान के बाद होने वाली आवक से ही मिल सकती है। इस क्रम में सब्जियों के दाम में कुछ गिरावट आ सकती है लेकिन खाद्यान्न में गेहूं तथा चालव के खाद्यान्न भंडार से निकासी पर ही कुछ संकट कम हो सकता है। वित्तीय बाजार की स्थिति पर बैंक ने कहा कि उसकी स्थिति अच्छी बनी है और यह देश को आर्थिक मंदी से उबारने में मदद करेगा। बैंक ने कहा कि मौद्रिक तथा तरलता की स्थिति व्यवस्थित रहने की उम्मीद है और इसके परिदृश्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि मंदी से निपटने में इसकी मजबूत भूमिका रहेगी। बैंक ने कहा कि कृषि और इससे जुडी गतिविधियों में उम्मीद से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया और इसमें 0.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।



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