कुदरत का अजीब करिश्मा: 13 साल की लड़की गेहूं खाते ही हो जाती है बीमार
कुदरत का करिश्मा कहें या इसे कुछ और, क्योकि ऊपर वाले के सामने विज्ञान भी पंगु हो जाती है. 13 साल की एक लड़की गेहूं से बनी चीज खाते ही बीमार पड़ जाती है.
कैराना की 13 साल की लड़की मानसी (file photo) |
उत्तर प्रदेश के कैराना की 13 साल की लड़की ने जन्म से लेकर आज तक गेहूं और उससे बना कोई भी खाद्य पदार्थ नहीं खाया. लड़की अगर भूल से एक ब्रेड का ग्रास भी खा लेती है तो वह दो माह तक बीमार हो जाती है.
परिजनों ने दिल्ली के बडे़ अस्पतालों में बच्ची का उपचार कराया, लेकिन अंत में कुदरत की मर्जी के सामने मजबूर होकर बैठ गए. कस्बे के बाजार जोड़िया कुआं निवासी मलूकदास के घर साढे़ 13 साल पहले पुत्री मानसी का जन्म हुआ था. तीन चार साल बाद जब मानसी की मां पिंकी ने उसे बिस्कुट खिलाया तो वह बीमार हो गई.
धीरे-धीरे मानसी बड़ी होती गई और गेहूं से बनी चीजें खाने पर बीमार रहने लगी. शामली व पानीपत उपचार के बाद डाक्टरों को बीमारी समझ में नहीं आने पर सन 2007 में परिजन मानसी को दिल्ली के कलावती अस्पताल में ले गए.
जहां लंबे इलाज के बाद भी डाक्टरों को बीमारी समझ में नहीं आने और मानसी की सभी मेडिकल जांच कराने के बाद डाक्टरों ने मानसी को लिखकर दे दिया कि वह गेहूं की रोटी, ब्रेड, सूजी से बने समान, मठी, केक, पेस्टी आदि जिंदगी में कभी नहीं खाएगी. मानसी के लिए केवल चावल, बाजरा, सोयाबीन व दूध ही लेने की सलाह दी गई.
2007 से आज तक मानसी केवल दूध के अलावा चावल, बाजरा आदि से बनी रोटी ही खाने को मजबूर है. मानसी की मां पिंकी ने बताया कि एक दो बार भूल से मानसी ने गेहूं से बनी चीज खा ली थी, जिसके बाद उसे कमजोरी, भूख नहीं लगना आदि के अलावा वह चिड़चिड़ी हो गई थी. दो माह के उपचार के बाद मानसी ठीक हो पाती थी.
डर के चलते वे पूरा ध्यान रखते हैं कि मानसी गेहूं का एक भी दाना खाने नहीं पाए. मानसी के डाक्टर ने बताया था कि जिस तरह कोई दवा किसी मरीज को रिएक्शन कर जाती है उसी तरह मानसी को गेहूं रिएक्शन करता है.
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