‘देशहित’ और ‘रेलहित’ वाला होगा रेल बजट : सुरेश प्रभु

Last Updated 24 Feb 2016 06:17:25 PM IST

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिल्ली के रेल भवन में बजट को अंतिम रूप देने के बाद कहा कि यह रेलबजट देशहित और रेलहित का बजट होगा.


रेल बजट की फाइल दिखाते मंत्री सुरेश प्रभु.

इस मौके पर रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए के मित्तल, बोर्ड के अन्य सदस्य भी मौजूद थे. प्रभु गुरुवार को लोकसभा में 12 बजे रेल बजट 2016-17 पेश करेंगे.

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन की वजह से 32 हजार करोड़ रुपए के भार और भारतीय जीवन बीमा निगम तथा जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) द्वारा दिए जा रहे ऋण के कारण लगभग दस हजार करोड़ रुपए के भुगतान के दबाव को संतुलित करने के लिए बजट में राजस्व अर्जन के नए मॉडल पेश किए जाने की संभावना है.

किराया बढ़ाने का संकेत

सरकार ने बताया कि रेलवे के संसाधन में लगातार कमी आ रही है क्योंकि यात्री और माल किराये को युक्तिसंगत तरीके से व्यस्थित नहीं किया गया है. हालांकि वर्तमान सरकार रेल संसाधन एवं राजस्व व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाने के साथ दीर्घकालीन लोक सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठा रही है.

लोकसभा में प्रह्लाद जोशी के पूरक प्रश्न के उत्तर में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे का विस्तार होने से समाजिक आर्थिक गतिविधियां बढती हैं. अभी रेलवे को जो दो तिहाई आय माल ढुलाई से और एक तिहाई यात्री भाडे से हो रही है.

उन्होंने कहा कि यह चलन पिछले काफी से हो रहा है. यात्री भाडे में काफी सब्सिडी है और इसे माल ढुलाई दर बढाकर पूरा किया जा रहा है. इससे अन्य माध्यमों की तुलना में रेलवे से ढुलाई प्रभावित हो रही है.

उन्होंने कहा कि इन सब बातों के कारण रेलवे के संसाधान लगातार कम हो रहे हैं क्योंकि इस विषय पर उपयुक्त एवं युक्तिसंगत तरीके से निर्णय नहीं हुए. रेल विकास प्राधिकरण गठित करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी एक व्यवस्था बनायी जानी चाहिए कि माल परिचालकों और यात्रियों के हितों को सुनिश्चित किया जा सके और रेलवे के हित भी सुरक्षित रहे. माल ढुलाई तय करते समय कार्य क्षमता को मापदंड बनाया जाना चाहिए.

रेल मंत्री सुरेश प्रभु पर एक तरफ भारतीय रेल को पटरी पर लाने की बड़ी जिम्मेदारी है और दूसरी तरफ देश के करोड़ों रेल यात्रियों की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती है.

प्रभु कृपा से पिछले एक साल में रेल छुक-छुक गति से ही चल रही है लेकिन इसको बुलेट रफ्तार से चलाने का सपना है. इसके लिए चाहिए पैसा, लेकिन एक तो प्रभु का खजाना खाली है, दूसरा सारी कमाई सैलरी और पेंशन में साफ हो जाती है. सातवें वेतन आयोग का 28000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है.

पिछले एक दशक में माल भाड़ा 91 फीसदी बढ़ा है. रेलवे की कमाई का 51 फीसदी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर खर्च हो जाता है.

ऐसे में नई ट्रेनें चलाने, पैसेंजर सेफ्टी सुनिश्चित करने, साफ-सफाई और वर्ल्ड क्लास स्टेशनों के लिए कहां से आएगा पैसा. अब एक मात्र रास्ता किराया बढ़ाकर रेलवे को पटरी पर लाया जा सकेगा? यात्री किराये में 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकते हैं.

माना जा रहा है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु का 1.25 लाख करोड़ रुपये का क्षमता विस्तार प्लान है। रेल बजट में कमाई बढ़ाने के लिए महंगी स्पेशन ट्रेनों का एलान संभव है.  रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभु का फोकस सेफ्टी अपग्रेडेशन, इलेक्ट्रिफिकेशन और आधुनिकीकरण पर ज्यादा खर्च करने पर होगा.



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