पसंदीदा जजों की नियुक्ति को लेकर CJI के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ का खुलासा

Last Updated 23 Apr 2023 03:06:10 PM IST

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर होने वाला विवाद कोई नया नहीं है। पिछले कुछ महीनों से देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाते आ रहे हैं।


abhinav chandrachud( file photo)

आज भी कानून मंत्री, जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम सिस्टम को अपारदर्शी  बताते हैं और उसकी जगह कोई अन्य व्यवस्था बनाने की बात करते हैं। कानून मंत्री की बातों को सुनकर शायद देश के लोग यह समझते होंगे कि सरकार, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर कोई अपना नियम थोपना चाहती है ताकि वो अपनी पसंद के लोगों को जज बना सके, लेकिन ऐसा विवाद पहले भी होता रहा है।  इसका खुलासा किया है सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी  वाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब सुप्रीम व्हिस्पर्स में।

पसंदीदा जजों की नियुक्ति को लेकर चीफ जस्टिस के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ का खुलासा
यहां बता दें कि देश के सुप्रीम कोर्ट और तमाम हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिस पर की जाती है। इस कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ चार जज शामिल होते हैं। पांच जजों की यही कमिटी कॉलेजियम कहलाती है। कॉलेजियम जजों की एक सूचि बना कर कानून मंत्रालय को भेजती है। कानून मंत्रालय उसे स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजता है। राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलते ही जजों की नियुक्ति हो जाती है।  कॉलेजियम की सिफारिस को कानून मंत्रालय पुनः विचार करने के लिए वापस तो कर सकता है लेकिन कॉलेजियम की सिफारिस को मना नहीं कर सकता।

अभी कुछ दिनों पहले देश के कानून मंत्री ने कॉलेजियम प्रणाली को जब अपारदर्शी बताया था, तो काफी हंगामा हुआ था। देश के एकाद रिटायर जजों ने कानून मंत्री का विरोध भी किया था। दरअसल कानून मंत्री चाहते हैं कि जजों की नियुक्ति के लिए एक आयोग का गठन हो जाए। वह आयोग ही जजों की नियुक्ति करे। वैसे भी बहुत पहले नेशनल जुडिसियल अपॉइटमेंट कमीशन का गठन करने की बात हुई थी,लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।  आमतौर पर कॉलेजियम व्यवस्था पर यह आरोप लगता रहता है कि इस व्यवस्था के जरिए वही लोग जज बनते हैं, जिनके पिता ,दादा ,चाचा या उनके सगे रिस्तेदार पहले से ही सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में जज रहे हों।

 शायद उसी कथित दुर्व्यवस्था को ख़तम करने की कोशिश करना चाहते हैं देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू। कानून मंत्री की इस पहल पर भी सवाल उठने लगे थे। देश के कुछ रिटायर जजों के अलावा अन्य लोग भी कहने लगे थे कि  कानून मंत्री कॉलेजियम की जगह जजों की नियुक्ति के लिए कोई अन्य व्यवस्था लाने की बात इसलिए कर रहे है, ताकि वो संघ मानसिकता के लोगों को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जज बना सके। कानून मंत्री के बयानों को देश के लोग भी सुन रहे थे। देश के लोगों को भी उन पर सन्देह  होना लगा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी  वाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि जजों की नियुक्ति को लेकर अपने पसंदीदा लोगों को जज बनाने की कोशिश सिर्फ वर्तमान सरकार ही नहीं कर रही है, बल्कि कांग्रेस की सरकार में भी ऐसा होता था। बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अभिनव चंद्रचूड़ की किताब "सुप्रीम व्हिस्पर्स" में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी और एक जज का जिक्र किया गया है।

किताब में बताया गया है कि  1982 और 1985 के बीच चंदूरकर जज का नाम सुप्रीम कोर्ट के लिए भेजा गया था, लेकिन उस समय इंदिरा गांधी ने उनका नाम फ़ौरन रिजेक्ट कर दिया था। अभिनव अपनी किताब में लिखते हैं कि चंदूरकर का नाम रिजेक्ट करने की वजह बस इतनी थी कि वह संघ के द्वितीय सरसंघचालक एमएस गोलवरकर के अंतिम संस्कार में चले गए थे। बाद में एक सभा के दौरान उन्होंने गोलवरकर की प्रशंसा कर दी थी। दरअसल गोलवरकर और चंदूरकर के पिता अच्छे मित्र हुआ करते थे। अपने पिता के मित्र के अंत्येष्टि में चंदूरकर का शामिल होना इंद्रा गाँधी को अच्छा नहीं लगा था। खुद अभिनव ने एक साक्षात्कार के दौरान बतया था कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इन्द्रा गाँधी ने यह कर उनका नाम खारिज किया था कि चंदूरकर कांग्रेस के किसी काम के नहीं हैं। वह भविष्य में कांग्रेस की कोई मदद नहीं कर पायेंगे।

_SHOW_MID_AD__

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment