VIDEO : पीएम ने मन की बात में तमिलनाडु में बाढ़ पर चिंता जताई,अब पृथ्‍वी का तापमान बढ़ना नहीं चाहिए

Last Updated 29 Nov 2015 11:10:07 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से 14वीं बार रेडियो पर मन की बात करते हुए जलवायु परिवर्तन पर गहरी चिंता जाहिर की.


आपदा प्रबंधन पर मिलकर काम करें सार्क देश

इसके साथ ही पीएम ने कई अन्‍य मुद्दों पर भी जनता से अपने विचार साझा किए.पीएम ने कहा कि यह बेहद दुखद होता है कि कोई भी मुसीबत त्‍योहारों के समय आती है. केंद्र सरकार की टीम तमिलनाडु में है और मुझे वहां के लोगों की हिम्‍मत पर पूरा भरोसा है.

‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की घोषणा

देश में कथित असहिष्णुता पर जारी बहस के बीच राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि और आंतरिक सतर्कता को स्वतंत्रता की पूंजी करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ‘ एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ को योजना का रूप प्रदान करना चाहते हैं. उन्होंने इसके लिए लोगों से सुझाव मांगे.

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जयंती के दिन उन्होंने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की चर्चा की थी. ये ऐसी चीज है जिसे लेकर सामाजिक जीवन में निरंतर जागरूकता बनी रहनी चाहिये.

उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रयाम जाग्रयाम व्यम’ यह स्वतंत्रता बनाने रखने में आतंरिक सकर्तता के महत्व को रेखांकित करता है. देश में एकता की संस्कार सरिता चलती रहनी चाहिये.

मोदी ने कहा, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ इसको मैं एक योजना का रूप देना चाहता हूं. इस बारे में मैंने माईजीओवी पर सुझाव मांगे हैं. कार्यक्र म की रूपरेखा कैसी हो ? लोगो क्या हो? जन-भागीदारी कैसे बढ़े ? क्या रूप हो? सारे सुझाव के लिए मैंने कहा था.’

उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि काफी सुझव आ रहे हैं. लेकिन मैं और अधिक सुझावों की अपेक्षा करता हूं. बहुत विशिष्ट योजनाओं के बारे में राय की अपेक्षा करता हूं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया है कि इसमें हिस्सा लेने वालों को प्रमाणपत्र दिया जायेगा. कोई बड़े पुरस्कार भी घोषित किये गए हैं. आप भी अपना रचनात्मक मस्तिष्क लगाइए. एकता अखंडता के इस मंत्र को, एक भारत, श्रेष्ठ भारत मंत्र को कैसे एक-एक हिन्दुस्तानी को जोड़ने वाला बना सकते हैं. कैसी योजना हो, कैसा कार्यक्रम हो. जानदार भी हो, शानदार भी हो, प्राणवान भी हो और हर किसी को जोड़ने के लिए सहज सरल हो. सरकार क्या करे? समाज क्या करे? नागरिक समाज क्या करे? बहुत सी बातें हो सकती हैं. इन सभी बातों पर सुझाव दें.

जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कानपुर के एक गांव की नूरजहां का जिक्र करते हुए कहा‍ कि जहां दुनिया जलवायु परिवर्तन पर चिंता कर रहे हैं वहीं नूरजहां सोलर एनर्जी से गावों को रोशन करने में लगी है. उनका यह काम दुनिया के लिए प्रेरणा है. हमें भी इस बात के प्रयास करने हैं कि अब धरती का तापमान ना बढ़े.

मुद्रा बैंक पर एक फोन को लेकर पीएम ने कई लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि इसका फायदा मिल रहा है. लोग मुद्रा बैंक से आर्थिक मदद पाकर अपना व्‍यवसाय कर रहे हैं. इतने कम समय में करीब 66 लाख लोगों को 42,000 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिला इनमें से 24 लाख महिलाएं हैं.

मुद्रा बैंक योजना का जिक्र  करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा बैंक योजना ऐसे लोगों के लिए है जिन्हें अपने व्यवसाय को चलाने के लिए धनराशि नहीं मिल पाती है. उनको धनराशि मिले. इस उद्देश्य से यह योजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि इस योजना का मकसद अगर मैं सरल भाषा में समझाउं तो यह 3, इंटरप्राइज, अर्निंग और एंपावरमेंट है. मुद्रा इंटरप्राइज यानी उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है, मुद्रा अर्निंग यानी आय के अवसर पैदा करता है और मुद्रा सच्चे अर्थ में एंपावरमेंट यानी सशक्तिकरण करता है. छोटे-छोटे उद्यमियों की मदद करने के लिए यह मुद्रा योजना चल रही है.

मोदी ने कहा, ‘वैसे मैं जिस गति से जाना चाहता हूं, वो गति तो अभी आनी बाकी है. लेकिन शुरुआत अच्छी हुई है इतने कम समय में करीब 66 लाख लोगों को 42 हजार करोड़ रूपये प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिला.’

उन्होंने कहा कि यह पैसा धोबी नाई, अखबार बेचनेवाला, दूध बेचनेवाला.. छोटे-छोटे कारोबार करने वाले लोगों को मिले. और मुझे खुशी इस बात की हुई कि इन 66 लाख लोगों में 24 लाख महिलाएं हैं. इसमें  ज्यादातर मदद पाने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोग हैं जो खुद मेहनत करके अपने पैरों पर खड़े होकर सम्मान से परिवार को चलाने का प्रयास करते हैं.

प्रधानमंत्री ने मुद्रा बैंक योजना के संबंध में गोरखपुर के अभिषेक कुमार, भोपाल की ममता शर्मा और मुंबई में शैलेश भोसले का जिक्र किया. मोदी ने कहा कि लेकिन मैं चाहूंगा कि योजना का और प्रचार हो. हमारे सभी बैंक और ज्यादा संवेदनशील हों और ज्यादा से ज्यादा छोटे लोगों को मदद करें. सचमुच में देश की अर्थव्यवस्था को यही लोग चलाते हैं. छोटा-छोटा काम करने वाले लोग ही देश के अर्थ की आर्थिक शक्ति होते हैं. हम उसी को बल देना चाहते हैं। अच्छा हुआ है, लेकिन और अच्छा करना है.

खेतों में आग लगाना ठीक नहीं, जमीन को होता है नुकसान

जैविक खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि फसल के अवशेष भी बहुत कीमती और अपने आप में जैविक खाद होते हैं और ऐसे में खेतों में उन्हें आग लगाना ठीक नहीं है क्योंकि इससे जमीन की ऊपरी परत जल जाती है तथा पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है.

प्रधानमंत्री के इस बयान को ऐसे समय में महत्वपूर्ण माना जा रहा है जब कई रिपोर्टों में पंजाब में खेतों में फसलों के अवशेष को आग लगाने को दिल्ली एवं हरियाणा में प्रदूषण स्तर बढ़ने से जोड़ा गया है. जालंधर के लखविंदर सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था.

मोदी ने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान में यह हम लोगों की आदत है और परंपरागत रूप से हम इसी प्रकार से अपनी फसल के अवशेषों को जलाने के रास्ते पर चल रहे हैं. एक तो पहले हमें इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं था.

सब करते हैं इसलिए हम करते हैं वो ही आदत थी. दूसरा, इसका उपाय क्या होता हैं उसका भी प्रशिक्षण नहीं था और उसके कारण ये चलता ही गया. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज जो जलवायु परिवर्तन का संकट है, उसमें वह जुड़ता गया. और जब इस संकट का प्रभाव शहरों की ओर आने लगा तब आवाज सुनाई देने लगी. हमें हमारे किसान भाई बहनों को प्रशिक्षित करना पड़ेगा,
उनको सत्य समझना पड़ेगा कि फसल के अवशेष जलाने से हो सकता है कि समय बचता होगा, मेहनत बचती होगी.

अगली फसल के लिए खेत तैयार हो जाता होगा. लेकिन ये सच्चाई नहीं है. फसल के अवशेष भी बहुत कीमती होते हैं. वे अपने आप में जैविक खाद होता है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हम उसको बर्बाद करते हैं. इतना ही नहीं है अगर उसको छोटे-छोटे टुकड़े कर दिये जाएं तो वह पशुओं के लिए तो ड्राई फूड बन जाता है. दूसरा ये कि इन अवशेषों को जलाने के कारण जमीन की ऊपरी परत जल जाती है.

मोदी ने कहा कि हमारी हड्डियां मजबूत हों, हमारा हृदय मजबूत हो, अच्छी हो, और अगर चमड़ी जल जाए तो क्या होगा? हम जिन्दा बच पायेंगे क्या? वैसे ही, ये फसल के अवशेष, ठूंठ जलाने से सिर्फ ठूंठ नहीं जलते, ये पृथ्वी माता की चमड़ी भी जल जाती है. हमारी जमीन के ऊपर की परत जल जाती है, जो हमारी उर्वरा भूमि को मृत्यु की ओर धकेल देती है. और इसलिए उसके सकारात्मक प्रयास करने चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस ठूंठ को फिर से जमीन में दबोच दिया, तो भी वो खाद बन जाता है. या अगर किसी गड्ढे में ढेर करके केंचुए डालकर के थोड़ा पानी डाल दिया तो उत्तम प्रकार का जैविक खाद बन करके आ जाता है. पशु के खाने के काम तो आता ही आता है, और हमारी जमीन बचती है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से केले की खेती के बाद उसके ठूंठ जमीन में गाड़ दिये जायें तो उससे निकलने वाला पानी फसल को जिंदा रखने में मददगार हो सकता है.

अंगदान महादान : मोदी

अंगदान को महादान बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अंगदान से अमरता और किसी को नया जीवन मिल सकता है और मूल्यवान जिंदगियों को बचाया जा सकता है.

‘मन की बात’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय अशक्तता दिवस के रूप में याद किया जायेगा. पिछली बार इस कार्यक्र म में अंगदान के बारे में चर्चा की थी. और
मुझे बताया गया कि नोटो संस्थान पर अंगदान के बारे में आने वाले फोनकाल के बारे में सात गुना वृद्धि दर्ज की गई.

मोदी ने कहा, ‘अंगदान मूल्यवान जिंदगियों को बचा सकता है. अंगदान एक प्रकार से अमरता ले करके आ जाता है. एक शरीर से दूसरे शरीर में जब अंग जाता है तो उस अंग को नया जीवन मिल जाता है लेकिन उस जीवन को नयी जिंदगी मिल जाती है. इससे बड़ा सर्वोत्तम दान और क्या हो सकता है.’

27 नवंबर को मनाये गए भारतीय अंगदान दिवस का जिक्र  करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस क्षेत्र में भी व्यापक जागरूकता बढ़ेगी और सच्चे अर्थ में जरूरतमंद को उत्तम से उत्तम मदद मिलेगी, क्योंकि ये मदद कहीं और से नहीं मिल सकती जब तक कि कोई दान न करे.

उन्होंने कहा कि शारीरिक और मानसिक रूप से अशक्त लोग भी एक अप्रतिम साहस और सामर्थ्य के धनी होते हैं.कहीं कभी उनका उपहास हो जाता है. कभी-कभार करुणा और दया का भाव प्रकट किया जाता है. लेकिन अगर हम हमारी दृष्टि बदलें, उनकी ओर देखने का नजरिया बदलें तो ये लोग हमें जीने की प्रेरणा दे सकते हैं.

इस संबंध में प्रधानमंत्री ने कश्मीर के जावेद अहमद का जिक्र  किया जिन्हें आतंकवादियों ने गोली मार दी थी लेकिन वे बच गए. जावेद अहमद ने हार नहीं मानी। आतंकवाद की चोट भी उनको चित्त नहीं कर पायी. अपने जीवन को समाजसेवा में अर्पित कर दिया. शरीर साथ नहीं देता है लेकिन 20 साल से वे बच्चों की पढ़ाई के कार्य में डूब गए हैं.

देखें वीडियो-क्लाइमेट चेंज पर मोदी की मन की बात



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