सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता बचाने के लिए बुनियादी संरचना को समाप्त नहीं किया जा सकता: जेटली

Last Updated 28 Nov 2015 09:36:18 PM IST

एनजेएसी कानून को रद्द करने पर अपना आलोचनात्मक रुख जारी रखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बचाने के लिए चुनी हुई सरकार और संसद की संप्रभुता समेत बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को समाप्त नहीं किया जा सकता.




वित्त मंत्री अरुण जेटली

उन्होंने फैसले पर पुनर्विचार की वकालत की.
   
जेटली ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से मैं एनजेएसी पर हालिया फैसले को लेकर मुखर होकर बयान देता आ रहा हूं. मुझे लगता है कि भविष्य में किसी समय हमें इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत होगी. जहां कानून कहता है कि राष्ट्रपति प्रधान न्यायाधीश के साथ परामर्श करके नियुक्ति (न्यायाधीशों की) करेंगे, तब यह कहना कि इस कानून का वास्तविक आशय है कि मुख्य न्यायाधीश एक तरह से बिना किसी से परामर्श किये नियुक्ति करेंगे, यह बात संविधान में कही गयी बात के विरुद्ध है.’’
   
उन्होंने कहा, ‘‘और इसके आधार के लिए इस तर्क को नहीं माना जा सकता है कि किसी संस्था को केवल न्यायपालिका, निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा विशेष रूप से अधिकारों के प्रयोग से ही बचाया जा सकता है.’’
   
वित्त मंत्री ने कहा कि एक लोकतंत्र में जहां न्यायपालिका की स्वतंत्रता बुनियादी संरचना का हिस्सा है लेकिन निर्वाचित सरकार और निर्वाचित संसद की स्वतंत्रता के लिए भी ऐसा ही है.
   
उन्होंने कहा, ‘‘आप केवल एक को बचाने के लिए अन्य सभी बुनियादी संरचनाओं को समाप्त नहीं कर सकते.’’
   
जेटली ने नई दिल्ली में टाइम्स लिटफेस्ट में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपको पुनर्विचार करने की जरूरत है.’’
   
उन्होंने कहा कि भविष्य की पीढ़ियों को देखना पढ़ेगा कि आम सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी में डालने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए.
   
जेटली ने कहा कि आदिवासी और अन्य वंचित लोगों के लिए नौकरी तथा शिक्षा में आरक्षण तब तक रहना चाहिए जब तक कि समाज का शोषित तबका अन्य लोगों के समकक्ष नहीं हो जाता.





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