बीजेपी संसद में व्यवधान खड़ा कर रही है: येचुरी
संसद में गतिरोध दूर करने के लिए सरकार के बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक से पहले माकपा ने सदन में व्यवधान के लिए भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
सीताराम येचुरी |
माकपा ने बीजेपी पर ‘महज बहस के लिए बहस’ कराने की आड़ में जवाबदेही से बचने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
माकपा यह कहते हुए केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग पर कायम रही कि उनके विरूद्ध आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए यह जरूरी है.
पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘‘विपक्ष का यह रूख बिल्कुल सही है कि संसदीय बहस जांच का विकल्प नहीं हो सकती. ये गंभीर आरोप हैं जिनकी उच्चतम स्तर पर जांच की जरूरत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि किसी भी सरकारी सेवक के लिए व्यवस्था है कि जबतक जांच जारी रहती है आरोपी बिल्कुल निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पद छोड़ देता है. यही वह बात है जिसकी इस भाजपा सरकार से मांग की जा रही है.’’
माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के आगामी अंक में एक आलेख में उन्होंने कहा, ‘‘यह भाजपा सरकार महज बहस के लिए बहस कराने की आड़ में जवाबदेह बनने से बच रही है. यह भाजपा सरकार ही है जो आज संसदीय व्यवधान पैदा कर रही है.’’
भाजपा के इस आरोप पर कि विपक्ष संसद में बहस से बच रहा है, येचुरी ने कहा, ‘‘संसद प्रभावी विधायी छानबीन के माध्यम से कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित कर सकती है और वह ऐसा बहस के जरिए नहीं बल्कि आरोपों की जांच के लिए कार्यपालिका पर दबाव डालकर कर सकती है.’’
सरकार कहती रही है कि कोई भी इस्तीफा नहीं देगा. वह गतिरोध दूर करने के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाएगी. उसका आरोप है कि विपक्ष अहम विधेयकों को पारित होने में अडंगा लगा रहा है.
भाजपा पर दोहरे मानदंड का आरोप लगाते हुए येचुरी ने विपक्ष में रहने के दौरान के उसके कई उदाहरण गिनाए जब भाजपा ने ए राजा, दयानिधि मारन, शशि थरूर, पीके बंसल, अनि कुमार और के नटवर सिंह जैसे संप्रग मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद नहीं चलने दिया था.
माकपा नेता ने कहा, ‘‘हम भाजपा के वर्तमान दोहरेपन का खुलासा करने के लिए और पीछे जा सकते हैं. 1995 में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘तत्कालीन संचार मंत्री सुखराम के इस्तीफे की मांग करते हुए हम महज बहस के लिए बहस नहीं चाहते हैं.’’’
उन्होंने कहा कि ललित मोदी घोटाले, व्यापम घोटाले, महाराष्ट्र में घोटाले में दो भाजपा मंत्रियों की संलिप्तता, भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण पण्राली घेटाले से नरेंद्र मोदी का भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का मिथक धराशायी हो गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष मोदी सरकार से जो मांग रहा है, वह यह है कि पहले वे जिस मापदंड की मांग कर रहे थे, वह अपने पर भी लागू करे. अतीत के अपने ही रूख की तुलना में भाजपा द्वारा अब अपनाये जा रहे चालबाज रूख पर विचार तो कीजिए.’’
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