मॉनसून के ‘कमजोर’ रहने की उम्मीद

Last Updated 02 Jun 2015 06:01:09 PM IST

मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि इस वर्ष देश में मॉनसून के ‘‘कमजोर’’ रहने की उम्मीद है, विभाग ने मॉनसून के अब ‘‘सामान्य से कम’’ रहने का अनुमान जताया है.


मॉनसून के ‘कमजोर’ रहने की उम्मीद (फाइल फोटो)

जिससे सूखा पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है.केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री हषर्वर्धन ने संवाददाताओं से कहा कि मौसम विभाग ने अनुमान को संशोधित कर 93 फीसदी से 88 फीसदी दीर्घावधि औसत किया है जिसमें देश के उत्तर..पश्चिम हिस्से के सबसे ज्यादा प्रभावित रहने की आशंका है.

हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘मुझे भारी दिल से कहना पड़ रहा है कि हमारे संशोधित अनुमान के मुताबिक भारत में 88 फीसदी बारिश होगी.’’

हषर्वर्धन के पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भी है.भारतीय मौसम विभाग ने अप्रैल में अनुमान व्यक्त किया था कि मॉनसूनी बारिश औसतन 93 फीसदी रहेगी जो ‘‘सामान्य से \"\"कम’’ श्रेणी में आती है. अब 88 फीसदी अनुमान के साथ मॉनसून को ‘‘कमजोर’’ रहने की श्रेणी में रखा गया है.

मंत्री ने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि अनुमान सही हैं. लेकिन इस बार हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि संशोधित अनुमान सही नहीं हों.’’

उन्होंने कहा कि पिछली बार कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न मंत्रियों और विभागों से कहा था कि इस तरह की आपदा से निपटने के लिए तैयार रहें.

अनुमान के मुताबिक प्रभावित इलाके में उत्तर..पश्चिम भारत शामिल होगा जिसमें दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान आते हैं और यहां करीब 85 फीसदी बारिश होगी. क्षेत्र में पिछले वर्ष भी कम बारिश हुई थी.

कम बारिश का अनुमान अल नीनो के कारण हो सकता है जिससे देश के कुछ इलाकों में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है.

मॉनसून के विलंब होने के साथ ही किसानों के लिए यह खबर दुखदायी हो सकती है जो मौसमी बारिश पर काफी निर्भर रहते हैं.\"\"

धान जैसे खरीफ फसल की बुवाई के लिए दक्षिण..पश्चिम मॉनसून का समय पर आना जरूरी है और बारिश की कमी के कारण कीमतों में उछाल आ सकता है.

कृषि क्षेत्र में देश की करीब 60 फीसदी आबादी को रोजगार मिलता है जो मॉनसून पर काफी निर्भर है क्योंकि केवल 40 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचाई के तहत आती है.

पिछले वर्ष देश में 12 फीसदी कम बारिश हुई थी जिससे अन्न, कपास और तिलहन का उत्पादन प्रभावित हुआ था.

खराब मॉनसून के कारण वित्त वर्ष 2014-15 में कृषि का विकास 0.2 फीसदी रहा.

सरकार के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014-15 के फसल वर्ष (जुलाई..जून) में खाद्यान्नों का उत्पादन घटकर 251.12 मिलियन टन रहा था जबकि उसके पिछले वर्ष में रिकॉर्ड 265 . 04 मिलियन टन उत्पादन हुआ था.
 



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