हंसराज भारद्वाज ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- चापलूसों की पार्टी बन गई है कांग्रेस

Last Updated 27 Mar 2015 09:32:05 AM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हंसराज भारद्वाज ने अपने ही नेतृत्व और अपने ही पूर्व सहयोगियों पर बड़ा हमला बोला है.




हंसराज भारद्वाज (फाइल फोटो)

हंसराज भारद्वाज का कहना है कि कांग्रेस अब चापलूसों की पार्टी बन गई है और इसी का खामियाजा है कि 2014 के चुनावों में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. यही नहीं भारद्वाज ने यहां तक कह दिया कि जो लोग पद पर बैठे हैं वह काम नहीं करते हैं, जो काम करते हैं उनकी पूछ नहीं होती है.

उन्होंने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि शीला दीक्षित, जिन्होंने 15 साल दिल्ली का विकास किया. उन्हें एक हार के बाद घर बिठा दिया गया, जबकि अजय माकन जैसे लोगों को कमान दी गई जो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. हंसराज का कहना है कि आजा कल कांग्रेस को कुछ चार पांच लोग चला रहे हैं. और यही हाल रहा तो कांग्रेस किसी भी सूरत में वापसी नहीं कर सकती है.

भारद्वाज ने कहा, ‘‘यह बहुत दुख की बात है कि हमारे नेताओं को अदालतों में बुलाया जा रहा है. यह प्रधानमंत्री के स्तर तक के नेताओं समेत शीर्ष स्तर तक हो रहा है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या सोनिया गांधी नहीं समझतीं कि क्या हुआ, यह क्यों हुआ और किसने यह किया. सब कुछ पता है. यही कार्यशैली है. जिम्मेदारी साझा नहीं करना और फिर भी सबकुछ करना.’’

गांधी परिवार के करीबी माने जाते रहे भारद्वाज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अध्यक्ष ‘चाटुकारों और भ्रष्ट लोगों से घिरी हैं."

उसी समय उन्होंने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष को लोकसभा चुनाव में अनावश्यक रूप से कठिनाई में डाल दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें क्यों जिम्मेदार ठहराएं? वह केवल उपाध्यक्ष हैं. उन्हें लोकसभा चुनावों में अनावश्यक रूप से कठिनाई में डाल दिया गया. पार्टी को आम चुनाव में बढ़ना चाहिए था. पार्टी नहीं बढ़ी. कांग्रेस ने एक तरह से आसान जीत दे दी.’’

भारद्वाज ने आरोप लगाया कि आईटी कानून में संशोधन की शुरूआत द्रमुक के तत्कालीन मंत्री ए राजा ने की थी क्योंकि द्रमुक को आशंका थी कि फेसबुक पर कुछ आ जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए रोकथाम के लिहाज से एहतियातन कदम के तौर पर यह किया गया. मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि राजा के मंत्रालय ने दूसरे संशोधनों के साथ आईटी कानून के प्रावधान में संशोधन किया था.’’

यही नहीं भारद्वाज का कहना है कि यूपीए के दूसरे कार्यकाल में चिदंबरम और दूसरे चापलूसों की वजह से पार्टी ने समझौता किया और आईटी एक्ट 66ए इसी गठबंधन की वजह से लाए. यही नहीं गठबंधन की मजबूरी में ही पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंख बंद कर ली और खामियाजे के तौर पर हार का सामना करना पड़ा.

भारद्वाज को यूपीए-2 की सरकार में शामिल नहीं किया गया था और राज्यपाल बना दिया गया. वह यूपीए-1 में कानून मंत्री रहे थे. उनके बयान ऐसे समय में आये हैं जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और अगली पीढ़ी के नेताओं के बीच विरोधाभास की स्थिति नजर आ रही है.



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